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Sarv Pitru Amavasya kab Hai 2024: अक्टूबर में कब मनाई जाएगी सर्वप्रथम अमावस्या जानिए सही तिथि, अनुष्ठान पूजा विधि व महत्व के बारे में 

Sarv Pitru Amavasya kab Hai 2024
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सर्व पितृ अमावस्या 2024 कब है,तिथि, महत्व, अनुष्ठान और पूजा विधि (Sarv Pitru Amavasya kab Hai 2024): सर्व पितृ अमावस्या – एक ऐसी अमावस्या (Amavasya) जो हमारे पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। यह वह दिन है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह एक ऐसा अवसर है जब हम अपनी जड़ों से जुड़ते हैं और अपने वंश के महत्व को समझते हैं। सर्व पितृ अमावस्या का महत्व सदियों से हिंदू धर्म और संस्कृति में स्थापित है। यह एक पवित्र दिन है जब हम अपने पितरों की याद में विशेष पूजा अनुष्ठान, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करते हैं। इस दिन किए गए कार्यों का फल अनंत गुना बढ़ जाता है और हमारे पितरों को प्रसन्न करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सर्व पितृ अमावस्या कब होती है? इस दिन की पूजा विधि क्या है? श्राद्ध अमावस्या को क्या-क्या करना चाहिए? और इस महत्वपूर्ण अवसर पर कौन से टोटके और उपाय किए जा सकते हैं? 

आइए, इस लेख में हम इन सभी सवालों के जवाब खोजते हैं और सर्व पितृ अमावस्या (Sarv Pitru Amavasya) के बारे में विस्तार से जानते हैं। साथ ही, हम महालय अमावस्या (Mahalaya Amavasya) की कथा भी जानेंगे जो इस दिन के महत्व को और भी बढ़ा देती है। तो चलिए, शुरू करते हैं इस लेख को…

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पितृ अमावस्या कब है? (Pitru Amavasya kab Hai)

पित्त अमावस्या, जिसे पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, पितरों की पूजा और तर्पण के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है। यह विशेष दिन उन भक्तों के लिए है जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना करते हैं। इस साल, सर्व पितृ अमावस्या 02 अक्टूबर 2024, बुधवार को होगी।

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सर्व पितृ अमावस्या तिथि और समय (Sarva Pitru Amavasya Tithi Aur Samay)

इस साल, सर्व पितृ अमावस्या 02 अक्टूबर 2024, बुधवार को होगी। अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर को रात 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 03 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। इस अवसर पर भक्तगण विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और पूजा के माध्यम से अपने पितरों की आत्मा को संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं।

सर्व पितृ अमावस्या02 अक्टूबर 2024, बुधवार को होगी
अमावस्या तिथि01 अक्टूबर को रात 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी 03 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व (Sarva Pitru Amavasya ka Mahatva)

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अमावस्या, हिन्दू पंचांग के अनुसार वह दिन है जब चंद्रमा आकाश में अदृश्य होता है। इसे ‘अमावसी’ भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में अमावस्या की तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, यह पितरों की तिथि मानी जाती है। इस दिन चन्द्रमा की शक्ति जल में प्रविष्ट हो जाती है। यह दिन विशेष रूप से पितृ तर्पण, पूजा, और दान करने के लिए सम्मानित होता है। अमावस्या को पैतृक ऋणों की पूर्ति के लिए भी एक शुभ दिन माना जाता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। विशेष रूप से, सोमवती अमावस्या को खास माना जाता है, जब अमावस्या सोमवार को पड़ती है।

सर्व पितृ अमावस्या अनुष्ठान (Sarv Pitru Amavasya Anushthan)

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अमावस्या के दिन किए जाने वाले प्रमुख अनुष्ठानों का वर्णन निम्नलिखित तीन बिंदुओं में किया जा रहा है:

  • पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना: अमावस्या के दिन सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करना माना जाता है। लोग इस दिन अपने दिवंगत पितरों को याद करते हुए उन्हें जल, तिल, चावल आदि अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा लोग पितृ सूक्त या पितृ स्तोत्र का पाठ भी करते हैं।
  • पूजा-पाठ और दान करना: अमावस्या के दिन विभिन्न देवी-देवताओं जैसे शिव, हनुमान, शनि आदि की पूजा का भी विधान बताया गया है। लोग इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना भी शुभ माना जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • पवित्र नदी में स्नान और दीप प्रज्ज्वलित करना: हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि इससे पाप कटते हैं और आत्मा पवित्र होती है। इसके अलावा शाम के समय घर में दीप जलाने का भी रिवाज है। कुछ लोग इस दिन लक्ष्मी, पार्वती या सरस्वती की पूजा भी करते हैं।

श्राद्ध अमावस्या को क्या करना चाहिए? (Shraddha Amavasya ko kya karna Chahiye)

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सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष और शांति मिलती है। इस दिन प्रात:काल सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए और पंचबलि देना चाहिए। दोपहर के समय कुतुप काल में पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध में पीपल के वृक्ष के नीचे पितरों के लिए मिष्ठान्न और जल अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा गीता पाठ, पितृ सूक्त, गरुड़ पुराण, गजेंद्र मोक्ष, पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री मंत्र और पितृ कवच का पाठ करने से पितरों की मुक्ति होती है। श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराना और दान देना चाहिए। इन कार्यों से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

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सर्व पितृ अमावस्या पूजन विधि (Sarva Pitru Amavasya Puja vidhi)

सर्वप्रथम अमावस्या की पूजन विधि निम्नलिखित है: 

  • तर्पण की महत्ता: सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना अनिवार्य माना गया है। तर्पण के लिए दूध, तिल, कुशा, पुष्प और सुगंधित जल का उपयोग किया जाता है। यह सामग्री पितरों को अर्पित की जाती है, जिससे उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है और वे तृप्त होते हैं।
  • पिंडदान और भूखों को भोजन: तर्पण के बाद पिंडदान का विशेष महत्व होता है, जिसमें चावल या जौ के पिंड बनाकर पितरों को अर्पण किया जाता है। इस विधि से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है। पिंडदान के बाद भूखों को भोजन कराना अत्यंत आवश्यक माना गया है, जिससे दान का प्रभाव और बढ़ जाता है।
  • वस्त्र और दक्षिणा दान: इस दिन निर्धनों को वस्त्र दान करना पुण्यदायक कार्य माना जाता है। पूजा के बाद बिना दक्षिणा दिए और चरण स्पर्श किए पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता। इसलिए दक्षिणा देने और बुजुर्गों या गुरुजनों का आशीर्वाद लेने का विशेष महत्व है।
  • पितरों के नाम पर दान: पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए शिक्षा दान, रक्त दान, भोजन दान, वृक्षारोपण, और चिकित्सा संबंधी दान करना चाहिए। यह कर्म व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होते हैं, और पितरों की कृपा बनी रहती है।

सर्व पितृ अमावस्या के उपाय और टोटके (Sarva Pitru Amavasya Upay)

सर्वपितृ अमावस्या के दिन कालसर्प दोष से मुक्ति और विभिन्न लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित 7 प्रमुख उपाय किए जा सकते हैं:

  • कालसर्प दोष मुक्ति: सुबह स्नान और ध्यान के बाद चांदी के नाग और नागिन की पूजा करें। उन्हें सफेद फूलों के साथ बहते जल में प्रवाहित करें। इससे कालसर्प दोष का प्रभाव कम होगा और आपके लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलेगी।
  • धन लाभ और परिवार की उन्नति: रात के समय, पांच लाल फूल और पांच जलते हुए दीपक बहती नदी या तालाब में डालें। यह कार्य गोपनीय रूप से करें। इससे धन लाभ और परिवार के सदस्यों की उन्नति के आसार बढ़ेंगे।
  • शत्रुओं से सुरक्षा और करियर उन्नति: काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी खिलाएं। यदि कुत्ता रोटी खा लेता है, तो शत्रुओं की कोशिशें विफल होंगी और करियर में तरक्की संभव होगी।
  • आर्थिक स्थिति सुधार: शाम को, घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाएं, जिसमें लाल रंगे धागे की बत्ती और थोड़ी केसर व काले तिल डालें। इससे कर्ज से राहत मिलेगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
  • करियर में शुभ योग: रोजगार की खोज में लगे व्यक्ति एक साफ नींबू को मंदिर में रखकर, रात को सात बार अपने सिर से उतारें। नींबू को चार हिस्सों में काटकर चारों दिशाओं में फेंक दें। इससे करियर में शुभ योग बनने की संभावना बढ़ेगी।
  • पितरों के लिए भोजन अर्पित करना: बबूल के पेड़ के नीचे पितरों के लिए भोजन अर्पित करें, जिसमें कच्चा दूध, दो लौंग, बताशे और काले तिल शामिल करें। इससे नौकरी, व्यापार और जीवन की समस्याओं से निजात मिलेगी।
  • पितृपक्ष की पूजन: पितरों को तर्पण और श्राद्ध कर्म करें। गरीबों को भोजन कराएं, काली चीटियों को शक्कर मिला आटा और मछलियों को आटे की गोलियां दें। इन क्रियाओं से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपकी इच्छाएं पूरी होंगी।

महालय अमावस्या की कथा (Mahalaya Amavasya katha)

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महालया अमावस्या (Mahalaya Amavasya) का दिन पौराणिक कथाओं और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। एक समय देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा, जो भाद्रपद महीने की पदयामी तिथि से आरंभ होकर अमावस्या तक चलता रहा। इस भयंकर संघर्ष में दोनों पक्षों के कई योद्धा मारे गए। इस युद्ध के कारण इस अवधि को ‘शस्त्रहठ महालय’ नाम दिया गया, जो विनाश और वीरगति की याद दिलाता है।

युद्ध में जान गंवाने वाले देवताओं और राक्षसों की स्मृति में महालय अमावस्या पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन हमारे पूर्वजों को सम्मान देने और उन्हें स्मरण करने का भी अवसर है। इस अमावस्या पर पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। महालया अमावस्या 2024 (Mahalaya Amavasya 2024) भी इसी परंपरा को निभाते हुए, हमें हमारे पूर्वजों और दिव्य आत्माओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता जताने का अवसर प्रदान करेगी, जिससे हमें अपने सांस्कृतिक और धार्मिक कर्तव्यों की पुनः याद दिलाई जाती है।

Conclusion:-Sarv Pitru Amavasya kab Hai 2024

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया (सर्व पितृ अमावस्या 2024 कब है) यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपके मन में किसी तरह का सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर दर्ज करें, हम जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे। बाकि ऐसे ही रोमांचक लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर दोबारा विज़िट करें, धन्यवाद 

FAQ’s:-Sarv Pitru Amavasya kab Hai 2024

1. सर्व पितृ अमावस्या कब है?
सर्व पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष की अंतिम तिथि होती है, जब लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। 2024 में, सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर, 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है।

2. सर्व पितृ अमावस्या का क्या महत्व है?
सर्व पितृ अमावस्या उन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष दिन है जिनका श्राद्ध तिथि विशेष पर नहीं हो सका। इस दिन किए गए श्राद्ध कर्म को अत्यंत फलदायी माना जाता है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं।

3. श्राद्ध कर्म कैसे किया जाता है?
सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म करने वाले व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए और पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, और हवन करना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना अत्यंत शुभ माना जाता है।

4. क्या सर्व पितृ अमावस्या पर कोई विशेष पूजा होती है?
हां, इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा होती है। इसमें तर्पण, पिंडदान और मंत्रोच्चार शामिल होते हैं। इसके अलावा, कई लोग अपने घरों या तीर्थ स्थलों पर जाकर भी तर्पण करते हैं।

5. क्या सर्व पितृ अमावस्या को पिंडदान जरूरी है?
पिंडदान सर्व पितृ अमावस्या पर किया जाने वाला महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। माना जाता है कि इस दिन पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

6. अगर किसी कारणवश श्राद्ध न कर सकें तो क्या करें?
यदि आप किसी कारणवश श्राद्ध कर्म नहीं कर पाते हैं, तो आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण कर सकते हैं। इस दिन किए गए तर्पण को सभी पितरों के लिए मान्य माना जाता है।