Vastu Tips For Home: दक्षिणमुखी मकान – क्या आप जानते हैं कि आपके घर का मुख द्वार आपके जीवन पर कितना प्रभाव डालता है? वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा के मकान को कुछ परिस्थितियों को छोड़कर अशुभ और नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है।
हालांकि, कई लोग कहते हैं कि दक्षिणमुखी मकान में रहने से कुछ नहीं होता और वे लंबे समय से ऐसे घरों में सुखी जीवन बिता रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है? वास्तु शास्त्र के मुताबिक, दक्षिण दिशा का द्वार शुभ नहीं माना जाता और इसे संकट का द्वार भी कहा जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे दक्षिण में यम और यमदूतों का निवास, मंगल ग्रह का प्रभाव, दक्षिणी ध्रुव की नकारात्मकता आदि। इसके अलावा, दक्षिण दिशा से अल्ट्रावायलेट किरणों का असर और सूर्य के लंबे समय तक रहने से घर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।लेकिन क्या आप जानना चाहेंगे कि इन सब नकारात्मक प्रभावों के बावजूद कैसे आप अपने दक्षिणमुखी मकान (South Facing House) को शुभ और सकारात्मक बना सकते हैं? कैसे सही वास्तु टिप्स अपनाकर आप अपने घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं?
तो चलिए जानते हैं दक्षिणमुखी मकान के लिए कुछ खास वास्तु उपाय जिनसे आप अपने घर को वास्तु दोष मुक्त बनाकर एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं। पढ़िए यह लेख अंत तक और जानिए वो जरूरी वास्तु टिप्स…
Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | दक्षिण मुखी मकान के लिए वास्तु टिप्स |
2 | दक्षिण मुखी मकान में रसोईघर किस दिशा में होना चाहिए |
3 | दक्षिण मुखी मकान में भूमिगत जल भंडारण के लिए स्थान |
4 | दक्षिण मुखी मकान में शयनकक्ष किस दिशा में होना चाहिए? |
5 | दक्षिण मुखी मकान में बगीचे का स्थान किस दिशा में होना चाहिए? |
दक्षिण मुखी मकान के लिए वास्तु टिप्स (Vastu Tips For South Facing House)
दक्षिण मुखी (South Facing House) मकान में रहने वाले लोगों को कुछ वास्तु टिप्स अपनाकर इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। तीन प्रमुख वास्तु उपाय इस प्रकार हैं:
- मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाएं: दक्षिणमुखी मकान के मुख्य द्वार के ऊपर पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती। यह दक्षिणमुखी मकान के दोषों को दूर करने का सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है।
- निश्चित दूरी पर नीम का पेड़ लगाएं: दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार से दोगुनी दूरी पर नीम का पेड़ लगाने से दक्षिण दिशा का नकारात्मक प्रभाव काफी कम हो जाता है। अगर दक्षिणमुखी मकान (South facing house) के सामने एक और दूसरा मकान बड़ा हो तो भी दक्षिण दिशा का शुभ प्रभाव कुछ हद तक कम हो जाता है।
- अग्नेय कोण का मुख्य द्वार: वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार अग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में बनाना चाहिए। यदि उत्तर और पूर्व की ओर अधिक खुला स्थान हो और पश्चिम व दक्षिण की ओर कम हो तो दक्षिण दिशा के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं। पुरीशान (उत्तर-पूर्व) कोने में छोटे पौधे लगाने से भी दोष कम होते हैं।
इन वास्तु टिप्स (Vastu Tips) का पालन करके, दक्षिणमुखी मकान के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है और इसे किसी भी अन्य संपत्ति की तरह शुभ बनाया जा सकता है।
दक्षिण मुखी मकान में भूमिगत जल भंडारण के लिए स्थान (Space For Underground Water Storage In South Facing House)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, दक्षिणमुखी मकान में भूमिगत जल भंडारण का स्थान उत्तर-पूर्व कोने में होना चाहिए। यह दिशा धन और समृद्धि के देवता से जुड़ी होती है, इसलिए यह जल भंडारण के लिए शुभ मानी जाती है। जल भंडारण टैंक को छिपाना चाहिए और इसे बाहर से दर्शनीय नहीं होना चाहिए। टैंक को भूमिगत तल पर ही स्थापित करना चाहिए, और इसे रसोई या स्नानगृह के पास नहीं रखना चाहिए। इसे मिट्टी या तांबे की सामग्री से निर्मित किया जाना चाहिए, क्योंकि यह प्लास्टिक या इस्पात से अधिक शुभ माना जाता है। यदि वास्तु नियमों का पालन करके घर बनाया जाता है, तो दक्षिणमुखी मकान भी सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का स्रोत और समृद्धि का केंद्र बन सकता है।
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दक्षिण मुखी मकान में रसोईघर किस दिशा में होना चाहिए? (In Which Direction Should The Bedroom Be In A South Facing House)
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, दक्षिण मुखी मकान (South facing house) में रसोईघर का स्थान दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण में होना चाहिए। यह स्थान शुभ फलदायी माना जाता है और घर में सुख-समृद्धि लाता है। हालांकि, यदि रसोईघर इस दिशा में न हो, तो उत्तर-पूर्व दिशा में सिंदूरी गणेश की तस्वीर लगाकर या यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाकर वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है। रसोईघर (Kitchen) का दरवाजा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर खुलना चाहिए और खाना बनाते समय चेहरा पूर्व की ओर होना चाहिए। रसोईघर (Kitchen) का आकार चौकोर और खुला होना चाहिए और दीवारों का रंग पीला, नारंगी या गेरुआ होना बेहद शुभ होता है।
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दक्षिण मुखी मकान में शयन कक्ष किस दिशा में होना चाहिए? (In Which Direction Should The Bedroom Be In a South Facing House)
दक्षिण मुखी मकान (South facing house) में वास्तु के अनुसार, शयनकक्ष के लिए उत्तर या दक्षिण-पूर्व दिशा को शुभ माना जाता है। यह उनके वास्तुशास्त्र और फेंगशुई के सिद्धांतों के आधार पर है, जिन्हें घर की ऊर्जा संतुलित रखने में मदद माना जाता है। यह दिशा घर की ऊर्जा को संतुलित रखने में मदद करती है, जिससे घर के निवासियों की स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति में सुधार होता है।
दक्षिण मुखी मकान में बगीचे का स्थान किस दिशा में होना चाहिए ?
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, दक्षिण मुखी मकान में बगीचे की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। यह बताया गया है कि बगीचे की स्थिति दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिएयह स्थान वास्तु शास्त्र में शुभ माना जाता है और इसका मानना यह है कि यह स्थान घर के वासियों के लिए सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होता है। इसके अलावा, यह आवासीय स्थल के वातावरण को सुंदर और आकर्षक बनाता है। इसलिए, अगर आपका मकान दक्षिण मुखी है, तो आपके बगीचे को दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। इसे मनाया जाता है कि इससे घर के वासियों को सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य मिलता है।
Conclusion:-
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार, दक्षिण मुखी मकानों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के ये उपाय वास्तु दोष को दूर करने में मदद कर सकते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार सुनिश्चित कर सकते हैं। दक्षिण मुखी मकान (South facing house) से संबंधित हमारे द्वारा दी गई सभी वास्तु उपाय अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे इस लेख को अपने सभी प्रियजनों के साथ भी साझा करें और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।
Disclaimer– इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। हम आपको बता दें कि जन भक्ति ऐसे उपायों की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए इन सभी वास्तु टिप्स को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें ।
FAQ’s
Q. दक्षिण मुखी घर में मुख्य प्रवेश द्वार किस दिशा में होना चाहिए?
Ans. वास्तु के अनुसार दक्षिण मुखी घर में मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। यदि संभव हो तो दक्षिण दिशा में दो प्रवेश द्वार रखें – एक प्रवेश के लिए और दूसरा निकास के लिए।
Q. दक्षिण मुखी घर में रसोई कहाँ होनी चाहिए?
Ans. दक्षिण मुखी घर में रसोई दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम कोने में होनी चाहिए। दक्षिण दिशा में रसोई होने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है जिसका घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अतः रसोई की स्थिति के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए।
Q. दक्षिण दिशा में खिड़कियाँ और दरवाजे कैसे होने चाहिए?
Ans. दक्षिण मुखी घर में बड़ी खिड़कियाँ और दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होने चाहिए। दक्षिण और पश्चिम दिशा में खिड़कियों और दरवाजों का आकार छोटा रखना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह का मार्ग खुला रहता है।
Q. दक्षिण मुखी घर में सेप्टिक टैंक और भूमिगत पानी की टंकी कहाँ होनी चाहिए?
Ans. दक्षिण मुखी घर में सेप्टिक टैंक, भूमिगत पानी की टंकियाँ, नाले या झील दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होने चाहिए । ऐसा होने पर वास्तु दोष उत्पन्न होता है जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इन्हें उत्तर या पूर्व दिशा में रखना उचित होता है।
Q. दक्षिण मुखी घर के लिए परिसर को विभाजित करने वाले डिवाइडर कैसे होने चाहिए?
Ans. दक्षिण मुखी घर में दक्षिण और पश्चिम दिशा में परिसर को बांटने वाले ऊँचे डिवाइडर होने चाहिए। यह निराशा की भावना को घर में प्रवेश करने से रोकता है। इसके विपरीत उत्तर-पूर्व दिशा में ऐसे डिवाइडर कम ऊँचाई के होने चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
Q. दक्षिण मुखी घर में कितने प्रवेश द्वार होने चाहिए?
Ans. वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी घर में दो प्रवेश द्वार होने चाहिए – एक प्रवेश करने के लिए और दूसरा निकास के लिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संतुलन बना रहता है। यदि संभव न हो तो मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।