Sankashti Chaturthi Dates 2024: संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जिसे हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है और श्रद्धालु इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन के कष्टों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को पूरे भारत में विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे सकट चौथ, संकटहरा चतुर्थी आदि। साल 2024 में 12 संकष्टी चतुर्थी आने वाली हैं जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है। इन व्रतों से जुड़ी पौराणिक कथाएं और विधि-विधान भी अलग-अलग हैं। कुछ संकष्टी चतुर्थी विशेष मुहूर्त में मनाई जाती हैं तो कुछ का संबंध ग्रहों की स्थिति से होता है। प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी का व्रत विधि-विधान से रखने से जीवन में सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है। तो चलिए इस लेख में विस्तार से जानते हैं साल 2024 में कब-कब आएंगी संकष्टी चतुर्थी और इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें। साथ ही जानेंगे इन व्रतों को कैसे रखा जाता है और इनका क्या महत्व है।
यह लेख संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के बारे में एक संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा जो आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है। तो पढ़ते रहिए यह रोचक और ज्ञानवर्धक लेख…
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List Of Sankashti Chaturthi Dates 2024
S.NO | संकष्टी चतुर्थी | तिथि |
1 | लंबोदर संकष्टी चतुर्थी | 29 जनवरी |
2 | द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी | 28 फरवरी |
3 | भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी | 28 मार्च |
4 | विकट संकष्टी चतुर्थी | 27 अप्रैल |
5 | एकदंत संकष्टी चतुर्थी | 26 मई |
6 | कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी | 25 जून |
7 | गजानन संकष्टी चतुर्थी | 24 जुलाई |
8 | हेरंब संकष्टी चतुर्थी | 22 अगस्त |
9 | विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी | 21 सितंबर |
10 | वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी | 20 अक्टूबर |
11 | गणाधिप संकष्टी चतुर्थी | 18 नवंबर |
12 | अखुरथ संकष्टी चतुर्थी | 18 दिसंबर |
लंबोदर संकष्टी चतुर्थी (29 जनवरी) (Lambodar Sankashti Chaturthi)
लंबोदर संकष्टी चतुर्थी (Lambodar Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने भगवान गणेश को अपने हाथों से मोदक खिलाए। इससे प्रसन्न होकर गणेश जी का पेट फूल गया और वे लंबोदर कहलाए। तभी से इस दिन को लंबोदर संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को लंबोदर संकष्टी चतुर्थी के रूप में विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि, विद्या और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों को विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इस वर्ष 2024 में लंबोदर संकष्टी चतुर्थी 29 जनवरी को मनाई जाएगी। भक्तों को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। फिर पंचामृत, फल, फूल, दूर्वा आदि से उनकी पूजा करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। गणेश चालीसा का पाठ करना और प्रसाद चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (28 फरवरी, 2024) (Dwij Priya Sankashti Chaturthi)
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwij Priya Sankashti Chaturthi), भारतीय संस्कृति के अनुसार, भगवान गणेश की उपासना का एक विशेष दिन होता है। यह हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन, विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा और अर्चना की जाती है, और चंद्रोदय के समय चंद्रमा की आराधना की जाती है। यह तिथि 2024 में 28 फरवरी को मनाई जाएगी।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का पालन करने से विश्वास किया जाता है कि भगवान गणेश की कृपा सदैव बनी रहती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से, यह दिन विभिन्न उपायों के लिए उपयुक्त माना जाता है, जैसे कि सिल्वर या पंचधातु की गणेश मूर्ति की पूजा, रुद्राक्ष का इस्तेमाल, गरीबों और जरूरतमंदों के लिए वस्त्र और भोजन का दान, और गणेश को दुर्वा घास और गुड़ के लड्डू चढ़ाना। इन उपायों का पालन करने से माना जाता है कि भगवान गणेश (Lord Ganesh) प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशी, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है।
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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी (28 मार्च 2024) (Bhalchandra Sankashti Chaturthi)
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी (Bhaalchandra Sankashti Chaturthi), भगवान गणेश (Lord Ganesh) की उपासना का एक हिंदू त्योहार है। इसे हिंदू कैलेंडर के प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी दिवस पर मनाया जाता है। विशेष रूप से, चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, जिसे सबसे शुभ माना जाता है।
‘संकष्टी’ शब्द का अर्थ होता है ‘मुसीबतों से मुक्ति’ और मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने और भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा करने से जीवन की बाधाओं, चुनौतियों, और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से कहा जाता है कि सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन उपवासी सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं। उपवास तोड़ने के लिए, भगवान गणेश को पूजा के दौरान भोग लगाया जाता है। इस पूजा में मंत्रों का उच्चारण, प्रार्थनाएं, और गणेश स्तोत्र का पाठ करना शामिल होता है। इसलिए, भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश (Lord Ganesh) के प्रति समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो बाधाओं को दूर करने वाले और अच्छे भाग्य का स्रोत माने जाते हैं।
इस दिन, उपवासी एक कठोर उपवास का पालन करते हैं, भगवान गणेश की पूजा करते हैं, और गणेश स्तोत्र का पाठ करते हैं, उनके आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में बाधाओं और किसी भी तरह की चुनौतियों को दूर करने के लिए।
विकट संकष्टी चतुर्थी (27 अप्रैल, 2024) (Vikat Sankashti Chaturthi)
विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikat Sankashti Chaturthi), वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान गणेश की उपासना का एक महत्वपूर्ण दिवस होता है। “संकष्टी” का अर्थ होता है “संकट के समय में मुक्ति”, और भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में देखा जाता है।
इसलिए, उपास्य इस व्रत का पालन करते हैं, ताकि उन्हें भगवान गणेश की कृपा मिले और वे संकट और चुनौतियों से मुक्ति प्राप्त कर सकें। यह व्रत समृद्धि, खुशी और इच्छाओं की पूर्ति करने का आशीर्वाद देता है। विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikat Sankashti Chaturthi) को विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और इस व्रत का पालन बड़े भक्ति और उत्साह के साथ किया जाता है। व्रत का दिन स्नान करके और स्वच्छ कपड़े पहनकर शुरू होता है, इसके बाद गणेश जी की मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है। उपास्य फिर प्रार्थना, फूल और प्रसाद (भेंट) की देने की प्रक्रिया शुरू करते हैं। व्रत में पूरे दिन का उपवास शामिल होता है, और उपास्य अपना उपवास तभी तोड़ते हैं जब वे चंद्रमा का दर्शन करते हैं और चंद्र दर्शन (चंद्र पूजा) की रस्म का पालन करते हैं। यह व्रत इच्छाओं की पूर्ति, विघ्नों के निवारण, और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा जैसे विभिन्न लाभ प्रदान करने में विश्वास करता है।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी (26 मई 2024) (Ekadanta Sankashti Chaturthi)
एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekadanta Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 26 मई, 2024 को रखा जा रहा है।
इस दिन भगवान गणेश की उपासना की जाती है। मान्यता है कि भगवान गणेश की कृपा से भक्तों के जीवन से सभी विघ्न और कष्ट दूर हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें “विघ्नहर्ता” भी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है। भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं और मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। इस दिन गणेश जी को लड्डू, मोदक जैसे प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि उनकी कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होता है।
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कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी (25 जून, 2024) (Krishnapingal Sankashti Chaturthi)
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी (Krishnapingal Sankashti Chaturthi), एक प्रमुख हिन्दू पर्व है, जो हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस वर्ष इस पर्व का आयोजन 25 जून 2024 को हो रहा है। यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित है और इसे मनाने का उद्देश्य विघ्नों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने में मदद करना है।
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का शाब्दिक अर्थ होता है ‘कठनाइयों से मुक्ति’। यह विश्वास किया जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से विघ्नों का नाश होता है और जीवन में सफलता मिलती है। इस पर्व की पूजा का मुहूर्त 25 जून 2024 को देर रात 01 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा और रात 11 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगा। पूजा के दौरान, भक्त भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने उपवास रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग चढ़ाते हैं। यह मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और वे भक्तों के सभी विघ्नों को दूर करते हैं।
इस प्रकार, कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का महत्व भगवान गणेश की उपासना, विघ्नों का निवारण और जीवन में सफलता लाने में है. इसे मनाने के द्वारा, भक्त अपने जीवन में शांति और समृद्धि को अनुभव कर सकते हैं।
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गजानन संकष्टी चतुर्थी (24 जुलाई, 2024) (Gajanan Sankashti Chaturthi)
गजानन संकष्टी चतुर्थी (Gajanan Sankashti Chaturthi) हिंदू पंचांग के प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नों के हर्ता और बुद्धि व समृद्धि के देवता हैं।
मान्यता है कि भगवान कृष्ण स्वयं भगवान गणेश के अनन्य भक्त थे और इस दिन उनकी पूजा करते थे। वे सभी प्रकार की परेशानियों और बाधाओं से सुरक्षा के लिए गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करते थे। इस व्रत को करने से भक्तों को समृद्धि, सुख और मनोकामनाओं की पूर्ति का वरदान मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा वरेण्य के राज्य में भयंकर सूखा पड़ा। राजा ने प्रजा के साथ मिलकर भगवान गणेश से प्रार्थना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वर्षा का आशीर्वाद दिया। तभी से यह दिन संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाने लगा। गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत को भगवान गणेश को समर्पित सबसे शक्तिशाली व्रतों में से एक माना जाता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को करने से भक्त जीवन की सभी बाधाओं और कठिनाइयों को पार कर सकते हैं। यह व्रत सौभाग्य, सुख और समृद्धि लाने वाला भी माना जाता है।
इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और केवल चंद्रोदय के बाद ही भगवान गणेश को प्रार्थना अर्पित करके व्रत खोलते हैं। व्रत को भगवान गणेश के प्रसाद, जैसे मोदक या लड्डू से तोड़ा जाता है।
हेरंब संकष्टी चतुर्थी (22 अगस्त, 2024) (Heramba Sankashti Chaturthi)
हेरंब संकष्टी चतुर्थी (Heramba Sankashti Chaturthi) भगवान गणेश के हेरंब स्वरूप को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह प्रत्येक हिंदू कैलेंडर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश को पहले पूजा करके किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जाती है। वे बुद्धि, शक्ति और विवेक के प्रतीक हैं। भगवान गणेश (Lord Ganesh) का आह्वान करके, भक्त अपने जीवन से सभी बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास करते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार, गणपति के हेरंब स्वरूप की पूजा और हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखने से बुध, राहु-केतु के दुष्प्रभाव दूर होते हैं और सभी प्रकार की समस्याएं समाप्त होती हैं। भगवान गणेश (Lord Ganesh) के आशीर्वाद से बुद्धि, बल और विवेक की प्राप्ति होती है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, भगवान गणेश हर युग में अलग-अलग रूप धारण करते हैं। सतयुग में वे सिंह वाहन पर सवार दस भुजाओं वाले विनायक हैं। त्रेता युग में वे मयूर वाहन पर सवार छह भुजाओं वाले मयूरेश्वर हैं। द्वापर में वे मूषक वाहन पर सवार चार भुजाओं वाले गजानन हैं। कलयुग में वे घोड़े पर सवार दो भुजाओं वाले धूम्रकेतु हैं। हेरंब संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के हेरंब स्वरूप की पूजा का पर्व है।
इस दिन उनकी आराधना कर बाधाओं को दूर करने और बुद्धि-विवेक प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। यह विश्वास है कि इस पर्व पर व्रत और पूजा करने से गणेश भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
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विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (21 सितंबर, 2024) (Vighnaraja Sankashti Chaturthi)
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighnaraja Sankashti Chaturthi), एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि एवं समृद्धि के देवता, भगवान गणेश के समर्पित होता है, यह व्रत हिंदू कैलेंडर के प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
“संकष्टी” शब्द ‘संकट’ और ‘हर’ दो शब्दों से मिलकर बना है, जो ‘संकटों से मुक्ति’ का अर्थ देता है। भक्तगण मानते हैं कि इस व्रत का पालन करने से विघ्नों का नाश होता है और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत का पालन पूरे दिन के लिए उपवास करके किया जाता है, जो सूर्योदय से शुरू होकर, चंद्र दर्शन के बाद और संध्या के पूजन के बाद समाप्त होता है। उपवास गणेश जी को पूजन करके तोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। इसके अलावा, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी को धन समृद्धि और आर्थिक कठिनाईयों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी मनाया जाता है।
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) को मनाने का एक विशेष प्रक्रिया होती है, जिसमें सुबह जल्दी उठकर स्नान करना, गणेश जी की पूजा करना और उन्हें मोदक चढ़ाना शामिल होता है।
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी (20 अक्टूबर, 2024) (Vakratunda Sankashti Chaturthi)
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी (Vakratunda Sankashti Chaturthi), जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसका समर्पण विघ्नहर्ता और बुद्धि और समृद्धि के देवता, भगवान गणेश (Lord Ganesh) को किया जाता है। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी दिन मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश (Lord Ganesh) की कृपा प्राप्त करना है, जो जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने में सहायता करती है।
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं, जिसे चंद्रमा के दर्शन और गणेश पूजा के बाद ही तोड़ा जाता है। इस व्रत का पालन करने से मान्यता है कि भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जो बुद्धि, समृद्धि और प्रयासों में सफलता का आशीर्वाद देती है। संकष्टी चतुर्थी का आयोजन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की आराधना और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसे मनाने से माना जाता है कि भगवान गणेश की कृपा से सफलता मिलती है और जीवन में आने वाली समस्याओं और बाधाओं का सामना करने की शक्ति मिलती है।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (18 नवंबर, 2024) (Ganadhipa Sankashti Chaturthi)
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (Ganadhipa Sankashti Chaturthi) हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन की हर समस्या दूर होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इस व्रत में भगवान गणेश के साथ-साथ चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। दिन में गणेश पूजा की जाती है और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। इससे घर-परिवार में धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा किसी भी कार्य में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। वे अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत को करने से मनुष्य के जीवन से दुख और कष्ट दूर होते हैं। इसलिए इस दिन भगवान गणेश की भक्ति और पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश और चंद्र देव की कृपा पाने, समस्याओं के निवारण और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी (18 दिसंबर, 2024) (Akhuratha Sankashti Chaturthi)
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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी (Akhurth Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो प्रत्येक वर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 30 दिसंबर 2023 को पड़ रहा है।
इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपत्ति बप्पा की पूजा करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है और सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) का पूजन करके उन्हें तिल-गुड़ के लड्डू और दूर्वा चढ़ाने से वे प्रसन्न होकर अपने भक्तों के समस्त कष्टों का हरण करके उनके जीवन को सुखी और समृद्धिभरा आशीष प्रदान करते हैं। अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन किए गए कुछ विशेष उपायों से भी लाभ प्राप्त होता है। जैसे, किसी काम में बाधा आने पर गणेश पूजा में पान का बीड़ा चढ़ाने से रुकावटें दूर होती हैं। बिजनेस में सफलता के लिए 21 दुर्वा की गांठ के साथ गुड़ के लड्डू का भोग लगाने से लाभ मिलता है। आर्थिक तंगी दूर करने के लिए भोग में गुड़ और घी शामिल करके गाय और गरीबों को दान करने से धन का लाभ होता है।
इस प्रकार, अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की आराधना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन के दुखों और संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है।
Conclusion:-
संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) व्रत रखना भक्तों के लिए एक पवित्र और शुभ अवसर होता है। इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। यह व्रत भक्तों को अपने आध्यात्मिक और भौतिक जीवन में संतुलन बनाने का अवसर प्रदान करता है। संकष्टी चतुर्थी के व्रत का सही ढंग से पालन करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता और खुशहाली मिलती है। साल 2024 की सभी संकष्टी चतुर्थी से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे इस अपने सभी परिवारजनों एवं मित्र गणों के साथ जरूर साझा करें। ऐसे ही और भी ज्ञानवर्धक लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें।
FAQ’s
Q. संकष्टी चतुर्थी क्या है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला व्रत है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संकटों से मुक्ति मिलती है।
Q. संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाती है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी साल में 12 या 13 बार आती है। यह प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चतुर्थी महीने में दो बार आती है – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
Q. विकट संकष्टी चतुर्थी क्या है?
Ans. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इसे एकदंत संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गणेश जी की आराधना करने से सभी कष्टों का निवारण होता है।
Q. संकष्टी चतुर्थी व्रत का क्या महत्व है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस व्रत को करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन गणेश जी की कृपा पाने से यश, कीर्ति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
Q. संकष्टी चतुर्थी पर क्या पूजा विधि होती है?
Ans. संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें जल, फूल, दूर्वा चढ़ाएं और धूप-दीप जलाएं। गणपति को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। फिर गणेश चालीसा या अन्य स्तोत्रों का पाठ करें। शाम को पुनः पूजा करें और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलें।
Q. संकष्टी चतुर्थी पर क्या उपाय करने चाहिए?
Ans. संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी के कम से कम 12 नामों का स्मरण करना चाहिए। इससे भविष्य की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। इस दिन गणेश कथा का श्रवण करने से गणपति की कृपा प्राप्त होती है। व्रत और पूजा के साथ लाल वस्त्र पहनना और चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।