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Sankashti Chaturthi Vrat Ka Udyapan: करना है संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्यापन पर नही पता इसके नियम, विधि और पूजन सामग्री? जानें

Sankashti Chaturthi Vrat Ka Udyapan
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Sankashti Chaturthi Vrat Ka Udyapan: संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला व्रत है, जो गणेश भगवान की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। यह व्रत हर महीने की चतुर्थी तिथि को आता है और गणेश भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठान है। 

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का उद्यापन (Udyapan), अर्थात् व्रत का समापन, भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्त करने का मार्ग खोलता है। यह अनुष्ठान केवल गणेश जी की कृपा प्राप्त करने का माध्यम नहीं है, बल्कि इसमें जीवन को नयी दिशा देने और आत्मिक शांति की प्राप्ति का गूढ़ रहस्य भी छुपा हुआ है। इस लेख में हम संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के उद्यापन की प्रक्रिया, विधि और उसके महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आध्यात्मिक साधना का भी अनिवार्य अंग है। गणेश जी की आराधना करते हुए, इस व्रत के उद्यापन की विधियों और उनके पीछे के आध्यात्मिक रहस्यों को समझना एक अनूठा अनुभव होगा, जो पाठकों को अंत तक बांधे रखेगा। 

तो आइए, इस पावन व्रत की यात्रा को प्रारंभ करते हैं और जानते हैं कैसे यह उद्यापन (Udyapan) जीवन को नयी ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है…

Table Of Content

S.NOप्रश्न
1क्या होता है संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्यापन?
2संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्यापन कब करना चाहिए?
3संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है?
4संकष्टी चतुर्थी व्रत उद्यापन विधि?
5संकष्टी चतुर्थी व्रत उद्यापन सामग्री
6संकष्टी चतुर्थी व्रत उद्यापन नियम
7संकष्टी चतुर्थी व्रत कितने रखने चाहिए?
8संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्यापन किस महीने में करना चाहिए?

क्या होता है संकष्टी चतुर्थी  व्रत का उद्यापन? (What is Sankashti Chaturthi Vrat Udyapan?

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का उद्यापन उस व्रत के समापन को कहते हैं, जिसे नियमित रूप से 11 या 21 बार संकष्टी चतुर्थी व्रत करने के बाद किया जाता है। उद्यापन का उद्देश्य भगवान गणेश (Lord Ganesh) की विशेष कृपा प्राप्त करना और व्रत के समापन को विधिपूर्वक संपन्न करना होता है। इसमें गणेश जी की पूजा, व्रत कथा का पाठ, दान, और हवन शामिल होते हैं। उद्यापन (Udyapan) के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें वस्त्र, फल, मिठाई आदि दान करना महत्वपूर्ण होता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से व्रतकर्ता अपनी मनोकामना की पूर्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्यापन कब करना चाहिए? (When to do sankashti chaturthi vrat udyapan

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का उद्यापन एक महत्वपूर्ण व्रत होता है जिसे गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जब कोई व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी का व्रत नियमित रूप से 11 या 21 बार कर लेता है, तब उद्यापन (Udyapan) करना चाहिए। उद्यापन किसी भी विशेष अवसर पर भी किया जा सकता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है? (Sankashti Chaturthi Vrat kaise kiya jata hai?)

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। व्रत का उद्यापन (Udyapan) शाम के समय किया जाता है जब चतुर्थी तिथि के दौरान चंद्रोदय होता है। कभी-कभी व्रत एक दिन पहले तृतीया तिथि को भी होता है। व्रत के दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) और चंद्रमा की पूजा की जाती है। पूजा विधि में गणेश जी का जलाभिषेक, फूल-फल अर्पण, मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाना, संकष्टी चतुर्थी कथा पढ़ना और आरती करना शामिल है। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर क्षमा मांगकर व्रत पूरा किया जाता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत उद्यापन विधि? (Sankashti Chaturthi Vrat Udyapan vidhi)

संकष्टी चतुर्थी व्रत उद्यापन विधि:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  • व्रत का संकल्प लेकर एक चौकी पर वस्त्र बिछाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • गणेश जी को चंदन, तिलक, अक्षत, दूर्वा आदि अर्पित करें और उनका पूजन करें।
  • गणेश चालीसा, आरती और मंत्रों का जाप करें। ‘ऊॅं गणेशाय नमः’ मंत्र का दिन भर जाप करते रहें।
  • गणेश जी को लड्डू का भोग लगाएं।
  • व्रत के दौरान चावल, गेहूं, दाल और मांस-मदिरा का सेवन वर्जित है। केवल सात्विक भोजन करें।
  • पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और क्रोध पर नियंत्रण रखें।
  • शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण करें।

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) प्रत्येक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश Lord Ganesh) की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत विघ्नहर्ता गणेश (Lord Ganesh) जी को समर्पित है, जो बुद्धि और विवेक के देवता हैं। उनकी कृपा से साधक की प्रगति के मार्ग की बाधाएं दूर होती हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत उद्यापन सामग्री (Sankashti Chaturthi Vrat Udyapan Samagri List)

संकष्टी चतुर्थी उद्यापन के लिए आवश्यक सामग्री:

S.NOपूजन सामग्री 
1गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर
2लाल या पीला वस्त्र
311 जोड़ी दूर्वा
4फूल
5माला
6सिंदूर
7अक्षत
8कुमकुम
9जनेऊ
10पान
11नारियल
12मोदक
13मौसमी फल
14बूंदी
15घी का दीपक
16धूप
17जल कलश
18थाली
19लोटा

संकष्टी चतुर्थी व्रत उद्यापन नियम (Sankashti Chaturthi Vrat Udyapan Niyam)

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का उद्यापन बड़ी श्रद्धा और विधि-विधान से करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। फिर घर के पूजा स्थल को साफ करके भगवान गणेश (Lord Ganesh) की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उनके सामने धूप, दीप जलाएं और ‘ॐ गणेशाय नमः’ मंत्र का जाप करें। इस दिन व्रत रखें और चावल, गेहूं, दाल का त्याग करें। सात्विक भोजन ग्रहण करें और क्रोध पर नियंत्रण रखें। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का उद्यापन (Udyapan) करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कितने रखने चाहिए?

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) व्रत का पालन श्रद्धालु 12 या 21 लगातार महीनों तक करते हैं। यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि 12 व्रत रखने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है, जबकि 21 व्रत विशेष रूप से कठिन मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किए जाते हैं। व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल या फलाहार रहना चाहिए। चंद्रोदय के बाद गणेशजी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलना चाहिए। इस प्रकार, भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार संकष्टी चतुर्थी व्रत रख सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का उद्यापन किस महीने में करना चाहिए?

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) व्रत का उद्यापन 12 या 21 लगातार व्रतों के बाद किया जाता है। इसका उद्यापन किसी भी महीने में किया जा सकता है, लेकिन प्रमुखतः गणेश चतुर्थी या किसी विशेष गणेश उत्सव के समय किया जाता है। उद्यापन के लिए शुभ मुहूर्त और गणेश पूजा का विशेष महत्व होता है। व्रतधारी को पूर्ण विधि-विधान से गणेशजी की पूजा, हवन और दान करना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना चाहिए। उद्यापन के बाद संकल्पित व्रत पूरा माना जाता है।

Conclusion:

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti chaturthi) भगवान गणेश (Lord Ganesh) की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का पावन अवसर है। इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से, भक्तों को सुख-समृद्धि, विघ्नों से मुक्ति, और बुद्धि प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेखक अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इस लेख को अपने सभी प्रिय जनों के साथ साझा करें, ऐसे ही और भी पावन त्योहार और व्रत से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:

Q. संकष्टी चतुर्थी का महत्व क्या है? 

Ans. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) को गणेश जी (Lord Ganesh) की पूजा करके अमूल्य वरदान प्राप्त किया जा सकता है और सेहत की समस्या को भी हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करना हर तरीके से लाभप्रद होता है और उनकी कृपा भी प्राप्त होती है। भगवान गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न करके मनचाहे फल की कामना करते हैं।

Q. संकष्टी चतुर्थी पर पूजा कैसे की जाती है? 

Ans. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) पर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ हल्के लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें। भगवान गणपति के चित्र को लाल कपड़ा बिछाकर रखें और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा करें। पूजा में दीया, लाल गुलाब, तिल के लड्डू, गुड़, रोली, मोली, चावल, फूल, जल, धूप, केला और मोदक रखें। धूप दीप जलाकर गणेश मंत्र का जाप करें।

Q. संकष्टी चतुर्थी पर क्या उपाय किए जा सकते हैं? 

Ans. संकष्टी चतुर्थी पर श्री गणेश को गेंदे का फूल, मोदक और गुड़ का नैवेद्य अर्पित करने से हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। सिंदूर लगाकर पूजा करने से सुखमय जीवन बनता है। धनदाता गणेश स्तोत्र का पाठ करने से अपार धन-संपत्ति मिलती है। शमी के पेड़ की पूजा करने से दुख-दरिद्रता दूर होती है। 17 बार दूर्वा अर्पित करने से बड़ी परेशानियां दूर होती हैं।

Q. संकष्टी चतुर्थी पर रुके हुए धन को पाने का क्या उपाय है? 

Ans. संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणपति की पीले रंग की मूर्ति स्थापित करें और हर रोज पीले मोदक चढ़ाएं। पीले आसन पर बैठकर ‘ॐ हेरम्बाय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। यह प्रयोग लगातार 27 दिन तक करने से रुका हुआ पैसा प्राप्त होता है।

Q. संकष्टी चतुर्थी पर मनचाहा वरदान पाने का क्या उपाय है? 

Ans. संकष्टी चतुर्थी के दिन से 27 हरी दूर्वा की पत्तियां एक कलावे से बांधकर प्रतिदिन गणेश जी को चढ़ाएं। ऐसा लगातार 11 दिन तक करने से मनचाहा वरदान अवश्य मिलता है। साथ ही भगवान गणपति के किसी भी स्तोत्र का पाठ भी अवश्य करें।

Q. संकष्टी चतुर्थी पर घर लेने का क्या उपाय है? 

Ans. अगर आप खुद का घर लेने के इच्छुक हैं तो संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करें। इससे आपको अपना घर पाने में लाभ अवश्य होगा।