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Shani Amavasya: क्या होती है शनि अमावस्या? क्या है इसके व्रत नियम, जाने इसका इतिहास और महत्व  

Shani Amavasya
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Shani Amavasya: शनि अमावस्या (Shani Amavasya)- एक ऐसा पावन दिन जो हिंदू पंचांग में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन न केवल शनि देव की पूजा-अर्चना का दिन है, बल्कि उनकी कृपा प्राप्त करने का भी एक सुनहरा अवसर। शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है और वे अपने भक्तों को कर्मों का फल देने के लिए जाने जाते हैं।

शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन शनि देव की विधिवत पूजा करने से न केवल उनकी कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में आ रही कठिनाइयों और समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है जो शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से गुजर रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार, शनि अमावस्या के दिन कुछ खास उपाय करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इस लेख में हम शनि अमावस्या के महत्व, इस दिन की पूजा विधि और शनि देव को प्रसन्न करने के उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि शनि अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए। 

तो चलिए, पढ़ते रहिए, क्योंकि इस लेख में शनि देव और शनि अमावस्या से जुड़े कई रोचक तथ्य आपका इंतजार कर रहे हैं…

Shani Amavasya

Table Of Content

S.NOप्रश्न
1शनि अमावस्या कब है
2शनि अमावस्या क्या है
3शनि अमावस्या का महत्व
4शनि अमावस्या के फायदे
5शनि अमावस्या व्रत नियम
6शनि अमावस्या व्रत कथा
7शनि अमावस्या पारण समय 
8शनि अमावस्या व्रत कथा पीडीएफ 

शनि अमावस्या कब है? (Shani Amavasya kab Hai)

शनि अमावस्या (Shani Amavasya), ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या दिन को मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण होता यह वर्ष 2024 में 6 जून को होगी, इस दिन भक्तगण शनि देव की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

शनि अमावस्या क्या है? (What is  Shani Amavasya? )

शनि अमावस्या (Shani Amavasya) हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेखित एक महत्वपूर्ण दिवस है। यह फाल्गुन मास (फरवरी-मार्च) के चंद्रमा के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होता है। इस दिन शनि देव (Lord Shanidev), शनि ग्रह के देवता, की पूजा की जाती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की उम्मीद की जाती है। शनि अमावस्या (Shani Amavasya) पर शनि शांति पूजा करने से शनि देव के प्रकोप को कम किया जा सकता है। 

शनि अमावस्या का महत्व (Shani Amavasya Significance)

शनि अमावस्या (Shani Amavasya) का महत्व मुख्य बिंदुओं में इस प्रकार है:

  • शनि देव की कृपा प्राप्ति: शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन शनि देव की विशेष पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन विधिपूर्वक यदि शनि देव को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाए तो शुभ फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि शनि देव प्रसन्न होकर जीवन की सभी परेशानियों और तकलीफों को दूर कर देते हैं। विशेषकर जिन लोगों पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है, उनके लिए इस दिन शनि पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • पितृ तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व: शनि अमावस्या (Shani Amavasya) को कुशाग्रही अमावस्या भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन पितरों की शांति और उनकी याद में तर्पण और श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। अमावस्या के दिन नदियों में देवी-देवताओं का वास माना जाता है, इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध करने से जीवन में सुख-शांति मिलती है और पितृदोष भी समाप्त होता है।

शनि अमावस्या के फायदे (Shani Amavasya Benefits)

शनि अमावस्या (Shani Amavasya) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है जो शनि देव की पूजा के लिए समर्पित है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस दिन शनि देव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और शनि दोष से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में कहा गया है कि शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन शनि देव का पूजन करना विशेष रूप से फलदायी होता है। इस दिन उपवास रखने, दान करने, काले वस्त्र पहनने और शनि चालीसा पाठ करने जैसी प्रथाएं मानी जाती हैं। इन उपायों से शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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शनि अमावस्या व्रत नियम (Shani Amavasya Fasting Rules)

शनि अमावस्या (Shani Amavasya) व्रत के मुख्य नियम इस प्रकार हैं:

  • स्नान और पूजा: शनि अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के बाद शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करके पूजा करें। सरसों का तेल, नीले फूल, काला कपड़ा और काली उड़द चढ़ाएं। “ॐ शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • व्रत और उपवास: इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। दिन भर निराहार या फलाहार रहकर शाम को व्रत खोलें। व्रत के दौरान मन को शांत रखें और ईश्वर का ध्यान करें।
  • दान-पुण्य: शनि अमावस्या पर दान करना विशेष फलदायी होता है। काले वस्त्र, सरसों का तेल, काली उड़द आदि का दान करें। जरूरतमंदों की सहायता करना भी शुभ होता है।
  • शनिदेव की कथा और आरती: शनिदेव की कथा सुनें या पढ़ें। शाम को शनिदेव को दीपक जलाकर आरती करें। आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।

इन नियमों का पालन करके शनि अमावस्या (Shani Amavasya) का व्रत करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या जैसी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।

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शनि अमावस्या व्रत कथा (Shani Amavasya Vrat Katha)

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव (Lord Shanidev) ने भगवान शिव (Lord Shiva) की कठोर तपस्या और भक्ति से नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया। एक बार जब सूर्यदेव अपनी पत्नी छाया के पास गर्भाधान के लिए गए, तो छाया ने सूर्य के तेज से डरकर आँखें बंद कर ली। बाद में छाया के गर्भ से श्याम वर्ण वाले शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के काले रंग को देखकर सूर्य ने छाया पर शनि को अपना पुत्र न मानने का आरोप लगाया। तभी से शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता रखते हैं।

कई वर्षों तक भूखे-प्यासे रहकर शिव की आराधना और घोर तपस्या करने पर शिव ने प्रसन्न होकर शनि को वरदान मांगने को कहा। शनि ने प्रार्थना की कि उनकी मां छाया को सूर्य द्वारा सदा अपमानित किया गया है, अतः वे अपने पिता से भी अधिक शक्तिशाली और पूज्य बनना चाहते हैं। तब शिव ने वरदान दिया कि नवग्रहों में शनि का स्थान सर्वश्रेष्ठ होगा और वे पृथ्वी के न्यायाधीश व दंडाधिकारी होंगे। देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर और नाग भी शनि के नाम से भयभीत रहेंगे। ग्रंथों के अनुसार शनिदेव कश्यप गोत्रीय हैं और सौराष्ट्र उनका जन्मस्थल माना जाता है। शनि जयंती या प्रत्येक शनिवार को विशेष मंत्रों का जाप करने से यश, सुख, समृद्धि, सफलता और अपार धन-धान्य मिलता है। 

शनि अमावस्या व्रत कथा पीडीएफ (Shani Amavasya Vrat Katha PDF)

भगवान शनि देव (Lord Shanidev) की जयंती से संबंधित व्रत कथा हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके शनिदेव जी की व्रत कथा कभी भी और कहीं भी पढ़ सकते हैं।

शनि अमावस्या व्रत कथा PDF Download | View Kahani

शनि अमावस्या पारण समय (Shani Amavasya Parana Time)

शनि जयंती (Shani Amavasya) 6 जून 2024 को मनाई जाएगी। हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को इसे मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शनि देव का जन्म हुआ था। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 5 जून 2024 को शाम 7 बजकर 54 मिनट पर आरंभ होगी, और यह 6 जून 2024 को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी।

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Conclusion

शनि जयंती (Shani Jayanti) हमें अपने कर्मों के प्रति सचेत रहने और सदैव सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। भगवान शनि की पूजा करके हम उनसे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। शनि जयंती से संबंधित हमारा यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया ऐसे ही और भी शानदार लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें

FAQ’S 

Q. शनि अमावस्या क्या है?

Ans. शनि अमावस्या वह अमावस्या होती है जो शनिवार के दिन पड़ती है। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

Q. शनि अमावस्या का महत्व क्या है?

Ans. शनि अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए शनिदेव का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। यह दिन पितृ तर्पण, पितृ कर्मकांड, पवित्र नदी स्नान तथा दान करने के लिए भी शुभ माना जाता है।

Q. शनि अमावस्या पर क्या उपाय करने चाहिए?

Ans. शनि अमावस्या पर शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं जैसे – शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना, शनि चालीसा व आरती का पाठ करना, लोहा, उड़द दाल, तेल आदि का दान करना। इससे शनि की कृपा प्राप्त होती है।

Q. शनि अमावस्या पर क्या दान करना चाहिए? 

Ans. शनि अमावस्या पर शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन लोहा, उड़द दाल, सरसों का तेल, पुराने वस्त्र, जूते-चप्पल आदि का दान करना चाहिए। इसके अलावा तली हुई खाने-पीने की चीजों जैसे समोसा, कचोरी आदि का दान भी किया जा सकता है।

Q. शनि अमावस्या पर कौन सी पूजा की जाती है?

Ans. शनि अमावस्या पर शनिदेव के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। शनिदेव की पूजा हमेशा शाम के समय की जाती है। इस दिन शनि मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही हनुमान जी का बजरंग बाण, हनुमान चालीसा आदि का पाठ भी करना चाहिए।

Q. शनि अमावस्या पर तेल की मालिश का क्या महत्व है? 

Ans. कई बार कड़ी मेहनत के बावजूद भी मनचाहा फल प्राप्त नहीं होता। ऐसे में शनि अमावस्या के दिन शरीर पर तेल की मालिश करने से स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और रुके हुए काम भी बनने लगते हैं। मान्यता है कि तेल की मालिश करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।