Shani Amavasya Vrat Katha PDF Download । शनि अमावस्या व्रत कथा: शनि अमावस्या हिंदू पंचांग में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पावन दिन है। इसे शनि देव की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर माना जाता है। शनि देव, जिन्हें न्याय का देवता कहा जाता है, अपने भक्तों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इस दिन विधिपूर्वक शनि देव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली समस्याओं एवं कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
शनि अमावस्या का महत्व उन लोगों के लिए विशेष रूप से बढ़ जाता है जो शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों से न केवल शनि देव प्रसन्न होते हैं, बल्कि उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
इस दिन पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। सरसों के तेल का दीपक जलाना, काले तिल का दान करना, और गरीबों को भोजन कराना शनि देव को प्रसन्न करने के प्रभावी उपाय माने जाते हैं। इसके साथ ही, शनि अमावस्या के दिन सच्चे मन से प्रार्थना करना और अच्छे कर्मों का संकल्प लेना शुभ माना जाता है। आज के हमारे इस लेख में हम डिटेल में जानेंगे कि शनि अमावस्या कब मनाई जाती है,साथ ही इसके महत्व , व्रत कथा, व्रत विधि,व्रत नियम आदि के बारे में आपके साथ चर्चा करेंगे।
Table Of Content
S.NO | प्रश्न |
1 | शनि अमावस्या कब है |
2 | शनि अमावस्या क्या है |
3 | शनि अमावस्या का महत्व |
4 | शनि अमावस्या के फायदे |
5 | शनि अमावस्या व्रत नियम |
6 | शनि अमावस्या व्रत कथा |
7 | शनि अमावस्या पारण समय |
8 | शनि अमावस्या व्रत कथा पीडीएफ |
शनि अमावस्या कब है? । Shani Amavasya kab Hai
शनि अमावस्या (Shani Amavasya), ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या दिन को मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण होता यह वर्ष 2025 में 29 मार्च जून मनाई जाएगी, इस दिन भक्तगण शनि देव की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
शनि अमावस्या क्या है । Kya Hoti Hai Shani Amavasya
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेखित एक महत्वपूर्ण दिवस है। यह फाल्गुन मास (फरवरी-मार्च) के चंद्रमा के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होता है। इस दिन शनि देव (Lord Shanidev), शनि ग्रह के देवता, की पूजा की जाती है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की उम्मीद की जाती है। शनि अमावस्या (Shani Amavasya) पर शनि शांति पूजा करने से शनि देव के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
शनि अमावस्या का महत्व । Shani Amavasya Significance
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) का महत्व मुख्य बिंदुओं में इस प्रकार है:
शनि देव की कृपा प्राप्ति: शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन शनि देव की विशेष पूजा-अर्चना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन विधिपूर्वक यदि शनि देव को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाए तो शुभ फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि शनि देव प्रसन्न होकर जीवन की सभी परेशानियों और तकलीफों को दूर कर देते हैं। विशेषकर जिन लोगों पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है, उनके लिए इस दिन शनि पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
पितृ तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व: शनि अमावस्या (Shani Amavasya) को कुशाग्रही अमावस्या भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन पितरों की शांति और उनकी याद में तर्पण और श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। अमावस्या के दिन नदियों में देवी-देवताओं का वास माना जाता है, इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध करने से जीवन में सुख-शांति मिलती है और पितृदोष भी समाप्त होता है।
शनि अमावस्या के फायदे । Shani Amavasya Benefits
शनि अमावस्या व्रत के लाभ
शनि अमावस्या पर व्रत रखने से न केवल शनि देव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आते हैं। व्रत के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:
- शनि दोष से मुक्ति: व्रत रखने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- कठिनाइयों का निवारण: जीवन में आ रही बाधाएं, आर्थिक समस्याएं और स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां कम होती हैं।
- कर्मों का शुद्धिकरण: व्रत और पूजा से व्यक्ति के बुरे कर्मों का प्रभाव कम होता है और अच्छे कर्मों का फल मिलता है।
- सुख-शांति का आगमन: व्रत के माध्यम से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- आध्यात्मिक लाभ: शनि देव की आराधना और व्रत से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- संकटों से बचाव: शनि देव के आशीर्वाद से भविष्य में आने वाले संकटों से सुरक्षा मिलती है।
- भाग्य वृद्धि: शनि देव की कृपा से भाग्य में सुधार होता है और जीवन में नए अवसर प्राप्त होते हैं।
- पारिवारिक जीवन में सुधार: व्रत और पूजा से पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शनि अमावस्या का व्रत सच्चे मन और श्रद्धा के साथ करने से उपरोक्त सभी लाभ प्राप्त होते हैं।
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शनि अमावस्या व्रत नियम । Shani Amavasya Fasting Rules
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) व्रत के मुख्य नियम इस प्रकार हैं:
- स्नान और पूजा: शनि अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के बाद शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करके पूजा करें। सरसों का तेल, नीले फूल, काला कपड़ा और काली उड़द चढ़ाएं। “ॐ शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- व्रत और उपवास: इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। दिन भर निराहार या फलाहार रहकर शाम को व्रत खोलें। व्रत के दौरान मन को शांत रखें और ईश्वर का ध्यान करें।
- दान-पुण्य: शनि अमावस्या पर दान करना विशेष फलदायी होता है। काले वस्त्र, सरसों का तेल, काली उड़द आदि का दान करें। जरूरतमंदों की सहायता करना भी शुभ होता है।
- शनिदेव की कथा और आरती: शनिदेव की कथा सुनें या पढ़ें। शाम को शनिदेव को दीपक जलाकर आरती करें। आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।
इन नियमों का पालन करके शनि अमावस्या (Shani Amavasya) का व्रत करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या जैसी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।
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शनि अमावस्या व्रत कथा । Shani Amavasya Vrat Katha
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव (Lord Shanidev) ने भगवान शिव (Lord Shiva) की कठोर तपस्या और भक्ति से नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया। एक बार जब सूर्यदेव अपनी पत्नी छाया के पास गर्भाधान के लिए गए, तो छाया ने सूर्य के तेज से डरकर आँखें बंद कर ली। बाद में छाया के गर्भ से श्याम वर्ण वाले शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के काले रंग को देखकर सूर्य ने छाया पर शनि को अपना पुत्र न मानने का आरोप लगाया। तभी से शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता रखते हैं।
कई वर्षों तक भूखे-प्यासे रहकर शिव की आराधना और घोर तपस्या करने पर शिव ने प्रसन्न होकर शनि को वरदान मांगने को कहा। शनि ने प्रार्थना की कि उनकी मां छाया को सूर्य द्वारा सदा अपमानित किया गया है, अतः वे अपने पिता से भी अधिक शक्तिशाली और पूज्य बनना चाहते हैं। तब शिव ने वरदान दिया कि नवग्रहों में शनि का स्थान सर्वश्रेष्ठ होगा और वे पृथ्वी के न्यायाधीश व दंडाधिकारी होंगे। देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर और नाग भी शनि के नाम से भयभीत रहेंगे। ग्रंथों के अनुसार शनिदेव कश्यप गोत्रीय हैं और सौराष्ट्र उनका जन्मस्थल माना जाता है। शनि जयंती या प्रत्येक शनिवार को विशेष मंत्रों का जाप करने से यश, सुख, समृद्धि, सफलता और अपार धन-धान्य मिलता है।
शनि अमावस्या व्रत कथा पीडीएफ । Shani Amavasya Vrat Katha PDF
भगवान शनि देव (Lord Shanidev) की जयंती से संबंधित व्रत कथा हम आपसे इस पीडीएफ (PDF) के जरिए साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके शनिदेव जी की व्रत कथा कभी भी और कहीं भी पढ़ सकते हैं।
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Conclusion
शनि जयंती (Shani Jayanti) हमें अपने कर्मों के प्रति सचेत रहने और सदैव सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। भगवान शनि की पूजा करके हम उनसे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। शनि जयंती से संबंधित हमारा यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया ऐसे ही और भी शानदार लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करें
FAQ’S
Q. शनि अमावस्या क्या है?
Ans. शनि अमावस्या वह अमावस्या होती है जो शनिवार के दिन पड़ती है। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
Q. शनि अमावस्या का महत्व क्या है?
Ans. शनि अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए शनिदेव का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। यह दिन पितृ तर्पण, पितृ कर्मकांड, पवित्र नदी स्नान तथा दान करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
Q. शनि अमावस्या पर क्या उपाय करने चाहिए?
Ans. शनि अमावस्या पर शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं जैसे – शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना, शनि चालीसा व आरती का पाठ करना, लोहा, उड़द दाल, तेल आदि का दान करना। इससे शनि की कृपा प्राप्त होती है।
Q. शनि अमावस्या पर क्या दान करना चाहिए?
Ans. शनि अमावस्या पर शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन लोहा, उड़द दाल, सरसों का तेल, पुराने वस्त्र, जूते-चप्पल आदि का दान करना चाहिए। इसके अलावा तली हुई खाने-पीने की चीजों जैसे समोसा, कचोरी आदि का दान भी किया जा सकता है।
Q. शनि अमावस्या पर कौन सी पूजा की जाती है?
Ans. शनि अमावस्या पर शनिदेव के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। शनिदेव की पूजा हमेशा शाम के समय की जाती है। इस दिन शनि मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही हनुमान जी का बजरंग बाण, हनुमान चालीसा आदि का पाठ भी करना चाहिए।
Q. शनि अमावस्या पर तेल की मालिश का क्या महत्व है?
Ans. कई बार कड़ी मेहनत के बावजूद भी मनचाहा फल प्राप्त नहीं होता। ऐसे में शनि अमावस्या के दिन शरीर पर तेल की मालिश करने से स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और रुके हुए काम भी बनने लगते हैं। मान्यता है कि तेल की मालिश करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।