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तिल चौथ व्रत कथा Til Chauth Fast Story

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Til Chauth Fast Story: तिल चौथ या सकट चौथ भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा के लिए समर्पित दिन है। इस दिन, महिला भक्त अपने बच्चों की सुख, समृद्धि और कल्याण के लिए कृष्ण पक्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर व्रत रखती हैं। यह दिन भारत के सभी हिस्सों में अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। देश के कुछ हिस्सों में, सकट चौथ को वक्रतुंड चतुर्थी या तिलकुट चौथ के रूप में मनाया जाता है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह दिन माघ महीने में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन पड़ता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के अनुसार यह दिन जनवरी या फरवरी के महीने में आता है। आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि तिल चौथ व्रत की कथा क्या है?What is the story of Til Chauth fast?, तिल चौथ व्रत की पूजा विधि क्या है? What is the worship method of Til Chauth fast?, तिल चौथ व्रत का महत्व क्या है? What is the importance of Til Chauth fast?, इत्यादि इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें ।

टॉपिकतिल चौथ व्रत कथा Til Chauth fast story
व्रततिल चौथ का व्रत 
प्रमुख देवताभगवान गणेश
व्रत की तिथि कृष्ण पक्ष के चौथे दिन
महतभगवान गणेश के प्रमुख व्रत में से एक
व्रत का लाभसंतान की दीर्घायु एवं शिक्षा में उन्नति
व्रत का अन्य नाम सकट चौथ

तिल चौथ व्रत की कथा क्या है? What is The Story of Til Chauth Fast?

हिंदू धर्म ग्रंथो (religious scriptures) के अनुसार एक बार एक गांव (Village) में एक वृद्ध अंधी औरत रहती थी। उस महिला का एक बेटा (son) और बहू (daughter in law) भी थी, वह बुढ़िया भगवान गणेश (Lord Ganesh) की प्रबल भक्त थी।

वह दिन-रात केवल भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा (Prayer) किया करती थी, बूढी महिला के पूजा एवं भक्ति भाव से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उसे दर्शन दिया, और बुढ़िया से एक वरदान मांगने के लिए भी कहा लेकिन बुढ़िया को समझ नहीं आ रहा था कि वह वरदान में भगवान गणेश से क्या मांगे! तो बुढ़िया ने भगवान गणेश से कहा कि आप कल जरूर आइएगा , मैं आपसे कल वरदान मांगूंगी। बुढ़िया ने अपने पुत्र से सुझाव मांगा कि उसे भगवान से क्या वरदान मांगना चाहिए तो उसके पुत्र ने कहा कि आप अपार धन और वैभव मांगिए , बुढ़िया ने अपनी बहू से पूछा तो उसकी बहू ने कहा कि आप मेरे लिए एक बेटा मांगिए , इन सुझावों के बावजूद बुढ़िया असमंजस में थी तभी उसने अपने पड़ोसन से भी सुझाव मांगा कि उसे भगवान गणेश से क्या मांगना चाहिए तभी पड़ोसन ने सुझाव दिया कि तुम भगवान से अपनी आंखों की रोशनी मांग लो ।

पड़ोसन के दिए गए सुझाव के बाद अगले दिन जब भगवान गणेश दोबारा बुढ़िया को दर्शन देने आए तो बुढ़िया ने कहा कि हे भगवान! आप मुझे – “धनवान जीवन, स्वस्थ शरीर, आंखों की रोशनी और एक पोता” दे दीजिए । बूढी औरत के वचन को सुनकर भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसके वरदान को भी पूर्ण किया  । तभी से तिल चौथ (Til Chauth) के व्रत कि यह प्रथा अब तक चली आ रही है ।

तिल चौथ व्रत की पूजा विधि क्या है? What is The worship Method of Til Chauth Fast?

  • इस दिन, व्रत रखने वाली विवाहित महिलाएं जल्दी उठती हैं और स्नान करती हैं, जिसके बाद वे नए कपड़े पहनती हैं, पूजा स्थल को साफ करती हैं और 108 बार “ओम गणेशाय नमः” मंत्र का जाप करती हैं। दिन के दौरान भक्त उपवास रखते हैं। हालाँकि दूध, चाय और फलों की अनुमति है।
  • शाम को एक मंडप सजाया जाता है जिसमें गणेश जी की मूर्ति रखी जाती है। मूर्ति को फूलों और दूर्वा (घास) से सजाया जाता है और गणेश को तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं। इन विशेष मिठाइयों को “नैवैद्य” कहा जाता है।
  • इस पूजा के अंत में गणेश आरती गाई जाती है। कुछ लोग इस पूजा का प्रसाद पूरी रात गणेश जी की मूर्ति के सामने रखते हैं और अगली सुबह परिवार के सदस्यों के साथ बांटते हैं
  • इस दिन चंद्र देव (Moon God) की भी पूजा की जाती है। रात में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और सकट चौथ कथा सुनने के बाद व्रत खोला जाता है। यदि बारिश और बादलों के कारण चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, तो पूजा चंद्रमा के उदय के समय के अनुसार की जाती है।
  • तिलकुट एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है जो तिल और गुड़ से बनाई जाती है। गणेश जी को कुछ तिलकुट और मोदक चढ़ाने के बाद, भक्त इसे अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटते हैं।
  • विवाहित महिलाएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य, धन और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं। सकट चौथ का व्रत करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन माताएं व्रत रखती हैं जिससे उनके बच्चों के जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं।

तिल चौथ व्रत का महत्व क्या है? What is The Importance of Til Chauth Fast?

सकट गणेश चतुर्थी हमारे देश के उत्तरी भाग में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक त्योहार है। यह व्रत महिलाओं द्वारा सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है, और अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य उच्च शिक्षा एवं ज्ञान के लिए भगवान गणेश (Lord Ganesh से प्रार्थना की जाती है। महिलाएं पारंपरिक कपड़े पहनती हैं और अपना दिन अनुष्ठानों और उत्सवों को समर्पित करती हैं। सकट पूजा विधि के अनुसार भगवान गणेश को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद तिल और गुड़ से बना होता है और इसे तिल कूट कहा जाता है

तिल चौथ व्रत के प्रमुख मंत्र क्या है? What are The Main Mantras of Til Chauth Fast?

  • ॐ गं गणपतये नमः..!
  • ॐ श्री गणेशाय नमः..!!
  • ॐ वक्रतुण्ड महाकाये सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरुमाये देव सर्व कार्येषु सर्वदा!!

Summary

तिल चौथ एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भक्ति, विश्वास और मातृत्व का प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं को अपने बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। तिल चौथ के व्रत से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।

FAQ’S 

Q. तिल चौथ कब मनाया जाता है?

Ans. तिल चौथ हर साल कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश और देवी पार्वती को समर्पित है।

Q. तिल चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है?

Ans. तिल चौथ का व्रत सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति एवं जीवन में खुशहाली के लिए रखा जाता है।

Q. तिल चौथ व्रत के दौरान क्या-क्या खाया जाता है?

Ans. तिल चौथ व्रत के दौरान, लोग तिल से बने भोग जैसे कि तिल लड्डू, तिल की चिक्की, और तिल का हलवा खाते हैं।

Q. तिल चौथ व्रत की पूजा कैसे की जाती है?

Ans. तिल चौथ व्रत की पूजा में भगवान गणेश और देवी पार्वती की मूर्ति स्थापित की जाती है। उन्हें तिल, फूल, और फल चढ़ाए जाते हैं।

Q. तिल चौथ व्रत का महत्व क्या है?

Ans. तिल चौथ व्रत का महत्व यह है कि यह व्रत सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाता है।

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सुरभि शर्मा
मेरा नाम सुरभि शर्मा है और मैंने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हमेशा से मेरी रुचि हिंदू साहित्य और धार्मिक पाठों के प्रति रही हैं। इसी रुचि के कारण मैं एक पौराणिक लेखक हूं। मेरा उद्देश्य भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों को सार्थकता से प्रस्तुत करके समाज को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करना है। मैं धार्मिक साहित्य के महत्व को समझती हूं और इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प रखती हूं। मेरा प्रयास है कि मैं भारतीय संस्कृति को अधिक उत्कृष्ट बनाने में योगदान दे सकूं और समाज को आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकूं।