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Chamunda Mata Mandir: जानिए जोधपुर में स्थित चामुंडा माता मंदिर के इतिहास के बारे में, जहां माता चामुंडा ने चील बनकर की थी भक्तों की रक्षा

Chamunda Mata Mandir
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Chamunda Mata Mandir: जोधपुर (Jodhpur), राजस्थान (Rajasthan) के सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक है, जो अपने ऐतिहासिक किलों, महलों और मंदिरों के लिए जाना जाता है। इन्हीं में से एक है मेहरानगढ़ किले में स्थित चामुंडा माता का मंदिर, जो न सिर्फ जोधपुर बल्कि पूरे पश्चिमी भारत में माता रानी के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। 

यह मंदिर जोधपुर शहर के संस्थापक महाराजा राव जोधा (Maharaja Rao Jodha) द्वारा 1460 ईस्वी में बनवाया गया था। राव जोधा ने अपनी पूर्व राजधानी मण्डोर से माता चामुंडा की मूर्ति को यहाँ स्थापित किया और तभी से यह स्थान माता रानी का निवास बन गया। चामुंडा देवी राजपूत शासकों की कुलदेवी और इष्ट देवी मानी जाती हैं। 

यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि वास्तुकला और इतिहास का भी एक अद्भुत नमूना है। राजस्थान शैली में निर्मित इस मंदिर में कई कलात्मक नक्काशियाँ और खिड़कियाँ हैं जो इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाती हैं। मंदिर के साथ ही पूरा मेहरानगढ़ किला भी एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है।

तो आज के इस विशेष लेख के जरिए हम आपको जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में स्थित चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, हम आपको चामुंडा माता मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, महत्व एवं मंदिर में दर्शन के समय इत्यादि के बारे में भी विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। इसीलिए हमारे इसलिए को अंत तक जरूर पढ़िए।

चामुंडा माता मंदिर के बारे में (About Chamunda Mata Mandir)

चामुंडा माता मंदिर का फोन नंबर919783546270
चामुंडा माता मंदिर का पतामेहरों को बास, गुलाब सागर, जोधपुर, राजस्थान, 342001, भारत
चामुंडा माता मंदिर में प्रवेश शुल्ककोई प्रवेश शुल्क नहीं
जोधपुर एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी5 किलोमीटर
जोधपुर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी10 किलोमीटर
बस स्टैंड से मंदिर की दूरी6 किलोमीटर
Google Maphttps://maps.app.goo.gl/Di7oz3qcDmWNn7mu8
चामुंडा माता मंदिर की फेसबुक प्रोफाइलhttps://www.facebook.com/share/PDHEitMj6CpaGoFE/

चामुंडा माता कौन हैं? (Who is Chamunda Mata)

Chamunda Mata Mandir
Source By- mainawara

चामुंडा माता (Chamunda Mata) हिंदू धर्म की एक शक्तिशाली देवी हैं। वे देवी दुर्गा (Goddess Durga) का एक रूप और सप्त मातृकाओं में से एक मानी जाती हैं। माता चामुंडा (Mata Chamunda) को तीन नेत्रों, चार भुजाओं और खोपड़ियों की माला के साथ एक उग्र रूप में दर्शाया जाता है।  

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता चामुंडा राक्षसों चंड और मुंड का वध करने के लिए देवी दुर्गा, काली और चंडी की संयुक्त शक्तियों से प्रकट हुईं। उन्हें अक्सर इन राक्षसों पर खड़े होकर बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। माता चामुंडा को अपने भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाने वाली रक्षक देवी भी माना जाता है। भक्त उन्हें धन, शक्ति और ज्ञान प्रदान करने के लिए पूजा करते हैं। कुल मिलाकर, माता चामुंडा अपने उग्र स्वरूप और संरक्षक प्रकृति के लिए जानी जाने वाली हिंदू धर्म की एक शक्तिशाली और पूजनीय देवी हैं।

चामुंडा माता मंदिर, मेहरानगढ़ किला (Chamunda Mata Temple Mehrangarh Fort)

मेहरानगढ़ किले के दक्षिणी भाग में स्थित चामुंडा माता का मंदिर  (Chamunda Mata Mandir) जोधपुर (Jodhpur) का एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। इस मंदिर की स्थापना 1460 ई. में तत्कालीन शासक राव जोधा (Rao Jodha) ने की थी, जब उन्होंने चामुंडा देवी (Chamunda Mata) की मूर्ति को मांडोर से मेहरानगढ़ (Mehrangarh) लाकर यहाँ स्थापित किया था। 

चामुंडा देवी (Chamunda Devi) राजपूत शाही परिवार की कुलदेवी हैं और उनकी आराधना आज भी की जाती है। राजस्थानी वास्तुकला से सुसज्जित यह मंदिर हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है। 

यहाँ प्रतिदिन सुबह-शाम आरती होती है और नवरात्रि (Navratri) जैसे त्योहारों पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। दशहरा के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर निःशुल्क है और सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) न केवल एक पवित्र धार्मिक स्थल है, बल्कि मेहरानगढ़ किले की शान में चार चाँद लगाता है।

चामुंडा माता मंदिर का इतिहास (History of Chamunda Mata Temple)

चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) जोधपुर (Jodhpur) के मेहरानगढ़ किले (Mehrangarh fort) में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास जोधपुर शहर के संस्थापक महाराजा राव जोधा (Maharaja Rao Jodha) से जुड़ा हुआ है। 

कहा जाता है कि 1460 ई. में जब राव जोधा मेहरानगढ़ किले का निर्माण करवा रहे थे, तब उन्होंने अपनी इष्ट देवी चामुंडा माता (Chamunda Mata) की प्रतिमा मंदोर की पुरानी राजधानी से मंगवाई और उसे किले में स्थापित किया था।

राव जोधा (Rao Jodha) ने जिस पहाड़ी पर मेहरानगढ़ किला (Mehrangarh fort) बनवाया था, वह पहले से हरमीत भट्ट नामक संत के अधिकार में थी। राजा द्वारा उस स्थान को अपने अधिकार में लेने से नाराज होकर संत ने श्राप दिया कि किले में हमेशा पानी की कमी रहेगी। इस श्राप से बचने और प्रजा की रक्षा के लिए राव जोधा ने चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) का निर्माण करवाया।

चामुंडा माता राजपूतों की कुलदेवी मानी जाती हैं। मेहरानगढ़ किले में स्थित उनका यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। प्रतिवर्ष दशहरा के अवसर पर यहाँ विशेष पूजा और मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। मंदिर में माता की काली पत्थर की प्रतिमा है जो राजपूत कला का उत्कृष्ट नमूना है।

चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) मेहरानगढ़ किले और जोधपुर शहर (Jodhpur City) के इतिहास का एक अभिन्न अंग है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि राजपूत राजाओं की आस्था और संस्कृति को भी दर्शाता है। आज भी यह मंदिर जोधपुर के लोगों की आस्था का केंद्र है और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का विषय भी है।

चामुंडा माता मंदिर की पौराणिक कथा (Legend of Chamunda Mata Temple)

चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) मेहरानगढ़ किले (Mehrangarh fort) में स्थित एक प्राचीन और प्रतिष्ठित मंदिर है। यह मंदिर जोधपुर (Jodhpur) के निवासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और चामुंडा माता को उनकी इष्ट देवी और राजपरिवार की सबसे बड़ी देवी माना जाता है। मंदिर का इतिहास कई सौ साल पुराना है और इससे जुड़ी एक दिलचस्प पौराणिक कथा है।कहा जाता है कि चामुंडा माता राव जोधा की पसंदीदा देवी थीं। राव जोधा ने 1460 में मेहरानगढ़ किले का निर्माण करवाया था। उन्होंने चामुंडा माता (Chamunda Mata) की मूर्ति को पूरी धार्मिक प्रक्रिया के साथ किले में स्थापित करवाया था। यह मूर्ति आज भी मंदिर में विराजमान है और श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।

पौराणिक कथा के अनुसार, चामुंडा माता (Chamunda Mata) ने दो राक्षसों चंड और मुंड का वध किया था। इसलिए उनका नाम चामुंडा पड़ा। वे माँ दुर्गा के एक रूप हैं और उनकी शक्ति और वीरता के लिए प्रसिद्ध हैं। चामुंडा माता की कृपा पाने के लिए भक्त उनकी आराधना करते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।

मंदिर का वास्तुकला भी बहुत खूबसूरत और प्रभावशाली है। यह पत्थर से बना हुआ है और इसमें सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर के अंदर चामुंडा माता की भव्य प्रतिमा है जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। मंदिर का माहौल बहुत शांत और आध्यात्मिक है। चामुंडा माता मंदिर विशेषकर दशहरा और नवरात्रि के त्योहारों के दौरान बहुत भीड़-भाड़ वाला हो जाता है। हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से माता के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने आते हैं। मंदिर प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।

कुल मिलाकर, चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि जोधपुर (Jodhpur) के इतिहास और संस्कृति का भी एक अभिन्न अंग है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के साथ-साथ इतिहास और कला प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। चामुंडा माता (Chamunda Mata) की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए हर साल लाखों लोग यहां आते हैं और अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।

चील बनकर माता चामुंडा करती है भक्तों की रक्षा  (Mother Chamunda protects the devotees in the form of an eagle.)

माता चामुंडा (Mata Chamunda) को मारवाड़ के राठौड़ वंशज द्वारा दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। एक कहानी के अनुसार, माता ने राव जोधा (Rao Jodha) को आशीर्वाद में कहा था कि जब तक मेहरानगढ़ दुर्ग (Mehrangarh fort) पर चीलें (eagle)  मंडराती रहेंगी, तब तक दुर्ग (Mehrangarh fort) पर किसी भी प्रकार की विपत्ति नहीं आएगी। 

1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, जब जोधपुर पर बम गिरे, तो कहा जाता है कि माता चामुंडा ने चील के रूप में प्रकट होकर जोधपुरवासियों की जान बचाई। इस घटना के बाद, जोधपुरवासियों में माता चामुंडा के प्रति अटूट विश्वास हुआ। इस घटना के बाद से, माता चामुंडा को जोधपुर की रक्षक माना जाता है।

माता चामुंडा का मंदिर जोधपुर के इतिहास और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंदिर न केवल स्थानीय आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय धर्म और परंपरा की प्रतीक है।

चामुंडा माता मंदिर का महत्व (Importance of Chamunda Mata Temple)

चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) जोधपुर (Jodhpur), राजस्थान (Rajasthan) के मेहरानगढ़ किले (Mehrangarh fort) के दक्षिणी छोर पर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना 1460 में राठौड़ वंश के शासक राव जोधा ने की थी, जो कि जोधपुर शहर के संस्थापक भी थे। चामुंडा देवी राव जोधा की इष्ट देवी थीं और उन्होंने इनकी मूर्ति को मंडोर की पुरानी राजधानी से लाकर मेहरानगढ़ किले में स्थापित किया था। तभी से चामुंडा माता जोधपुर के कई नागरिकों की भी इष्ट देवी बन गईं।

मेहरानगढ़ किले (Mehrangarh fort) में स्थित यह मंदिर आज भी कला और वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। प्रतिवर्ष नवरात्रि (Navratri) और दशहरा (Dussehra) पर्व के दौरान यहाँ विशेष पूजा और उत्सव मनाए जाते हैं। उस समय भक्तों की भारी भीड़ माता के दर्शनों के लिए उमड़ पड़ती है। मंदिर का जीर्णोद्धार समय-समय पर होता रहता है ताकि इसकी प्राचीन संरचना और सुंदरता बनी रहे। चामुंडा माता मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि जोधपुर के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति का भी एक अभिन्न अंग है। यह मंदिर शहर की आस्था और पहचान का प्रतीक बनकर उभरा है।

चामुंडा माता मंदिर की वास्तुकला (Chamunda Mata Temple Architecture)

Chamunda Mata Temple Photos

मेहरानगढ़ किले (Mehrangarh fort) के दक्षिणी भाग में स्थित चामुंडा माता मंदिर राजस्थानी वास्तुकला की एक मनमोहक उदाहरण है। 

मंदिर का प्रवेश द्वार देवी-देवताओं की सुंदर नक्काशी से सजा हुआ है। मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण जैसे हिंदू पौराणिक दृश्यों के भव्य चित्र उकेरे गए हैं। मंदिर के मध्य में एक सुनहरी चादर से ढका गुंबद है जो इसे एक शानदार रूप देता है। गर्भगृह में चामुंडा माता की प्रतिमा एक वर्गाकार आंगन से घिरी हुई है। 

मूर्ति काले संगमरमर की बनी है और सोने-चांदी के आभूषणों से सजी हुई है। यह एक सिंहासन पर विराजमान है और हनुमान व भैरव की मूर्तियों से घिरी हुई है। एक विशाल प्रार्थना हॉल भी है जहां श्रद्धालु देवी को प्रार्थना अर्पित कर सकते हैं। मंदिर की वास्तुकला पिछले युग की कलात्मक प्रतिभा और शिल्प कौशल को दर्शाती है।

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चामुंडा माता मंदिर तक कैसे पहुंचें (How to Reach Chamunda Mata Mandir)

सड़क मार्ग से: (By road)

  • चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) जोधपुर (Jodhpur) शहर के बाहरी इलाके मेहरानगढ़ किले (Mehrangarh fort) में स्थित है। यहां बस या टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है

रेल द्वारा: (By train)

  • चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) निकटतम जोधपुर रेलवे स्टेशन (Jodhpur Railway Station) के माध्यम से दिल्ली, आगरा, मुंबई, चेन्नई, बीकानेर, जोधपुर, जयपुर, अहमदाबाद जैसे प्रमुख शहरों के रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

हवाई मार्ग से: (By Air)

  • चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) के सबसे नजदीक अगर कोई हवाई अड्डा है तो वह है “जोधपुर हवाई अड्डा”(Jodhpur Airport), जोधपुर हवाई अड्डे के माध्यम से माता चामुंडा के मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई के लिए नियमित घरेलू उड़ानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

चामुंडा माता मंदिर Map Location :

चामुंडा माता मंदिर  दर्शन का समय (Chamunda Mata Temple  Darshan Timings)

चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) जोधपुर (Jodhpur) के मेहरानगढ़ किले (Mehrangarh Fort) में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। यह प्रसिद्ध मंदिर प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक माता चामुंडा के दर्शनके लिए खुला रहता है। 

श्रद्धालुओं को मंदिर में माता के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पर्याप्त समय मिलता है। एक सुखद और संतोषजनक दर्शन के लिए कम से कम 1-2 घंटे का समय अवश्य देना चाहिए। सूर्योदय के समय मंदिर जाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। मंदिर परिसर में कालिका माता की प्रतिमा के भी दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है और फोटोग्राफी की अनुमति है।कुल मिलाकर, चामुंडा माता (Chamunda Mata) के इस ऐतिहासिक मंदिर में भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

विशेष आयोजन (Special Event)

जोधपुर का प्रसिद्ध चामुंडा माता मंदिर यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, नवरात्रि के दौरान, भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ती है। दशहरा के समय भक्तो का ताता लगा रहता है, किला लोगों और श्रद्धालुओं से भर जाता है, जोधपुर वासियों में मां चामुंडा के प्रति अटूट आस्था है, क्योंकि मान्यता है कि उन्होंने चील के रूप में प्रकट होकर शहर की रक्षा की थी। देश-विदेश के लोग मंदिर में अपने मांगलिक कार्य पूरे करते हैं। इस मंदिर परिसर में मेले का आयोजन भी किया जाता है, मेले के समय माता रानी को विशेष भोग लगाया जाता है और  मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है,

Conclusion:

चामुण्डा माता (Chamunda Mata) के प्रति समर्पित यह मंदिर शहर के लोगों की आस्था और भक्ति का केंद्र है। यह मंदिर जोधपुर के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत की एक झलक प्रस्तुत करता है। तो अगर आप कभी जोधपुर जाएँ तो इस ऐतिहासिक मंदिर में जरूर जाएँ और माता रानी के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त करें। और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो उसे कॉमेंट बॉक्स में जाकर जरुर पूछे, हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। ऐसे ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट janbhakti.in पर जरुर विज़िट करें।

 FAQ’s:

Q.चामुंडा माता मंदिर कहाँ स्थित है? 

Ans  चामुंडा माता मंदिर जोधपुर के मेहरानगढ़ किले के दक्षिणी छोर पर स्थित है। यह मंदिर राजस्थान के जोधपुर शहर में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है।

Q.चामुंडा माता मंदिर का निर्माण किसने और कब करवाया? 

Ans. चामुंडा माता मंदिर का निर्माण जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने 1460 ई. में करवाया था। उन्होंने मंदोर से चामुंडा देवी की मूर्ति यहाँ स्थापित की थी।

Q.चामुंडा माता मंदिर की देवी किस रूप में पूजी जाती हैं?  

Ans. चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) में देवी चामुंडा की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा का एक रूप हैं। वे मेहरानगढ़ किले की संरक्षक देवी मानी जाती हैं।

Q.चामुंडा माता मंदिर का वास्तुकला कैसी है? 

Ans.चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) राजस्थानी शैली में बना है। इसके प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की खूबसूरत नक्काशी है और दीवारों पर हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे गए हैं।

Q.चामुंडा माता मंदिर में मुख्य मूर्ति कैसी है? 

Ans.मंदिर के गर्भगृह में काले संगमरमर की चामुंडा माता की मूर्ति है जो सोने-चांदी के आभूषणों से सजी है। मूर्ति सिंहासन पर विराजमान है।

Q.चामुंडा माता मंदिर में कौन से त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं? 

Ans. चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir) में नवरात्रि (Navratri) और दशहरा (Dussehra) के त्योहार बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।