Shivling Puja: हिंदू धर्म में शिवलिंग (Shivling Puja) की पूजा का विशेष महत्व है। शिवलिंग को भगवान शिव और माता पार्वती का प्रतीक माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग पूजा करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पूजा के कुछ नियम भी हैं? विशेषकर अविवाहित महिलाओं के लिए शिवलिंग (Shivling Puja) को छूना या उसकी पूजा करना निषेध क्यों माना गया है? यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में अक्सर लोग जानना चाहते हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, अविवाहित महिलाओं द्वारा शिवलिंग को स्पर्श करने या उसकी परिक्रमा करने से भगवान शिव की तपस्या में व्यवधान पड़ सकता है।
लेकिन क्या यह सच है? क्या महिलाओं को शिवलिंग की पूजा बिल्कुल नहीं करनी चाहिए? आइए जानते हैं इस रहस्य के पीछे छिपे धार्मिक और आध्यात्मिक कारणों को। साथ ही यह भी जानेंगे कि महिलाएं किस प्रकार से शिवलिंग की सही विधि से पूजा कर सकती हैं और इससे क्या लाभ मिलते हैं। तो चलिए, गहराई से समझते हैं शिवलिंग (Shivling) पूजा और महिलाओं से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय को…
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Table Of Content :-
S.NO | प्रश्न |
1 | शिवलिंग की पूजा का महत्व |
2 | लड़कियों को शिवलिंग की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए? |
3 | औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं? |
4 | क्या औरतों को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए? |
5 | महिलाएं क्यों नहीं छू सकती शिवलिंग? |
शिवलिंग की पूजा का महत्व
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- शिवलिंग का प्रतीकता और मान्यता: शिवलिंग (Shivling Puja) को भगवान शिव (Lord Shiva) के विशेष प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान शिव के प्रतिमा या मूर्ति के रूप में नहीं, बल्कि उनके अद्वितीय और अनंत स्वरूप के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। यह शिवभक्तों के लिए उनके भगवान के साक्षात् रूप का प्रतीक होता है, जिसके माध्यम से उन्हें भगवान शिव के समीप में अनुभव करने का अवसर प्राप्त होता है।
- शिवलिंग पूजा के धार्मिक महत्व: शिवलिंग (Shivling) की पूजा से विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। इस पूजा के द्वारा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने की आशा की जाती है और भक्त उनके दिव्य शक्तियों को अपने जीवन में प्रवेश करने का संकल्प लेते हैं। यह पूजा भगवान शिव के आद्यात्मिक और संसारिक उद्देश्यों को साधने में सहायक होती है, और भक्त अनंत शांति और संतुलन का अनुभव करते हैं।
लड़कियों को शिवलिंग की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?
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अविवाहित स्त्री को शिवलिंग (Shivling) के करीब जाने की आज्ञा नहीं है। साथ ही इसके चारों ओर भी अविवाहित स्त्री को नहीं घूमना चाहिए। यह इसलिए क्योंकि भगवान शिव (Lord Shiva) गंभीर तपस्या में लीन रहते हैं। जब भगवान शिव की पूजा की जाती है तो विधि-विधान का अच्छी तरह से खयाल रखना पड़ता है। अप्सराएं देवियां सभी की सभी भगवान शिव की पूजा करते समय बेहद सावधानी से उनकी पूजा करती हैं।
औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं?
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शिवलिंग (Shivling Puja) की पूजा करते समय महिलाओं को कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए, अन्यथा पूजा का फल विपरीत हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग शक्ति का प्रतीक है और इसे छूने का अधिकार केवल विवाहित पति-पत्नी या पुरुषों को ही है। अतः यदि आप शिवलिंग की पूजा करने जा रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि केवल पुरुष ही शिवलिंग को स्पर्श करें।
शास्त्रों में शिवलिंग (Shivling) को छूने का एक विशेष तरीका बताया गया है। सीधे शिवलिंग को छूना वर्जित है। यदि कोई महिला शिवलिंग को तिलक करना चाहती है, तो पहले शिवलिंग (Shivling) की जलाधि को स्पर्श कर प्रणाम करना होता है, उसके बाद ही शिवलिंग को स्पर्श किया जा सकता है। यह प्रक्रिया पवित्रता और सम्मान की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। शिवलिंग (Shivling) की पूजा के इन नियमों का पालन करने से न केवल पूजा सफल होती है, बल्कि व्यक्ति पर शिव की कृपा भी बनी रहती है। इसलिए, शिवलिंग की पूजा करते समय इन नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो सके और किसी प्रकार के विपरीत परिणाम से बचा जा सके।
क्या औरतों को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए?
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हां औरतों को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। महिलाओं को चाहिए कि वे प्रतिदिन शिवजी की पूजा करें और प्रत्येक सोमवार को व्रत रखें। सुबह स्नान के बाद शिवलिंग (Shivling Puja) पर जल अर्पित करें और फिर पंचामृत से उनका अभिषेक करें। इसके पश्चात अक्षत, फल, और फूल अर्पित करें। शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व होता है, इसलिए पूजा सामग्री में इसे अवश्य शामिल करें। यह नियमित पूजा न केवल शिवजी की कृपा दिलाती है बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति भी लाती है। सोमवार का व्रत विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है, जो इच्छाओं की पूर्ति में सहायक होता है। इस प्रकार, नियमित पूजा और व्रत से भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
महिलाएं क्यों नहीं छू सकती शिवलिंग?
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भगवान शिव (Lord Shiva) की उपासना में अविवाहित महिलाओं के लिए एक विशेष मनाही है। यह मान्यता है कि शिवलिंग को छूना उनके तपस्या को भंग कर सकता है, जिससे उनकी प्रार्थना प्रभावशाली नहीं रह सकती। इसका विशेष महत्व वेद-शास्त्रों में बताया गया है। शिव जी के ध्यान में किसी अन्य देवी या अप्सरा का आगमन भी उनकी ध्यान को भंग कर सकता है। इसलिए, शिवलिंग को छूने से अविवाहित महिलाओं को मना किया गया है। इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य है कि उनकी तपस्या को संरक्षित रखा जाए और उनका ध्यान अनिंद्रित न हो।
Conclusion:-
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शिवलिंग (Shivling) की पूजा से जीवन की कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रद्धा और भक्ति भाव से शिवलिंग की पूजा करने से सभी भक्तों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। आज का हमारा यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया होतो कृपया हमारे और भी रोचक और ज्ञानवर्धक लेख जरूर पढ़िए साथ ही साथ हमारे लेख को अपने प्रिय जनों के साथ भी साझा करिए और हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट करिए
Disclaimer – इस लेख के द्वारा दी गई सभी जानकारियां मान्यताओं पर आधारित है। हम आपको बता दें कि जन भक्ति ऐसे उपायों की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए इन सभी टिप्स को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
FAQ’s
Q. क्यों अविवाहित महिलाओं को शिवलिंग छूने की अनुमति नहीं है?
Ans. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग भगवान शिव की गंभीर तपस्या का प्रतीक है। अविवाहित महिलाओं द्वारा शिवलिंग को छूने से उनकी तपस्या में व्यवधान पड़ सकता है। इसलिए अविवाहित महिलाओं को शिवलिंग छूने की अनुमति नहीं दी जाती है।
Q. क्या महिलाओं को शिवलिंग की पूजा करने से पूरी तरह वर्जित किया गया है?
Ans. नहीं, महिलाओं को शिवलिंग की पूजा करने से पूरी तरह वर्जित नहीं किया गया है। अविवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा कर सकती हैं। साथ ही, वे 16 सोमवारों का व्रत रखकर भी शिव की कृपा प्राप्त कर सकती हैं।
Q. महिलाओं को शिवलिंग की पूजा किस विधि से करनी चाहिए?
Ans. महिलाओं को शिवलिंग की पूजा नंदी मुद्रा में करनी चाहिए। इस मुद्रा में पहली और आखिरी उंगली को सीधा रखा जाता है, वहीं बीच की दो उंगलियों को अंगूठे के साथ जोड़ा जाता है। इस मुद्रा में भगवान शंकर की पूजा करने से वे बेहद प्रसन्न होते हैं।[^5]
Q. शिवलिंग की पूजा का क्या महत्व है?
Ans. शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। शिव भक्तों का मानना है कि शिवलिंग की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन के महीने में शिवलिंग पूजन को और भी अधिक महत्व दिया जाता है।
Q. शिवलिंग को क्यों पुरुष तत्व का प्रतीक माना जाता है?
Ans. शिवलिंग एक साथ योनि (जो देवी शक्ति का प्रतीक है) का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतीक माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार यह एक ज्योति का भी प्रतीक है।
Q. शिवलिंग की पूजा करने से क्या लाभ होते हैं?
Ans. शिवलिंग की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं। इससे भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं, पति-पत्नी का वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है। सावन के महीने में पूरे मन से शिवलिंग पूजन करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होने की मान्यता है।