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Shivling Par kya Nhi Chadhana Chahiye: शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए, शिव पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

Shivling Par kya Nhi Chadhana Chahiye
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शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए (Shivling Par  Kya Nhi Chadhana Chahiye): भगवान शिव (Lord Shiva) हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय और पूज्य देवताओं में से एक हैं। उनकी पूजा-अर्चना करते समय भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ शिवलिंग (Shivling) पर जल, दूध, बेलपत्र, फूल आदि अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी भी चीजें हैं जो भगवान शंकर को बिल्कुल पसंद नहीं हैं और उन्हें शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाना चाहिए? हमारे शास्त्रों में स्पष्ट वर्णन मिलता है कि शिव पूजा में कुछ फूलों और वस्तुओं का उपयोग वर्जित है। इनका प्रयोग करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं और भक्तों को वांछित फल नहीं मिलता। तो आइए जानते हैं कि शिवलिंग (Shivling) पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए और भगवान शिव को कौन से फूल प्रिय नहीं हैं। साथ ही यह भी समझते हैं कि भोलेनाथ की पूजा-विधि में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इस लेख को पढ़ने के बाद आप भगवान शिव की पूजा सही तरीके से कर पाएंगे और उनकी विशेष कृपा पा सकेंगे। 

तो चलिए, शुरू करते हैं यह रोचक और ज्ञानवर्धक लेख…

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सावन में शिव पूजा में भूलकर भी न चढ़ाएं ये 8 चीजें

S.NOप्रश्न
1हल्दी
2तुलसी का पत्ता
3शंख
4नारियल
5कुमकुम, सिंदूर और रोली
6केतकी का फूल

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शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए? (Shivling Par kya Nahi Chadhana Chahiye)

शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं चढ़ाना वर्जित माना गया है। यहां कुछ प्रमुख वस्तुएं दी जा रही हैं जिन्हें शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए:

1.हल्दी

भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा में हल्दी का उपयोग न करने का रहस्य धार्मिक मान्यताओं में छिपा हुआ है। हल्दी का उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है और इसे स्त्री तत्व से जोड़कर देखा गया है। चूंकि शिवलिंग को पुरुष तत्व माना गया है, इसलिए हल्दी का उपयोग उनकी पूजा में वर्जित है।

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2.तुलसी का पत्ता

तुलसी का पत्ता, जो शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, भगवान शिव की पूजा में वर्जित है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसमें बताया गया है कि भगवान शिव ने असुर जालंधर का वध किया था, जो तुलसी के पति थे। इस कारण, तुलसी ने भगवान शिव की पूजा से खुद को दूर कर लिया।

3.शंख

भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा में शंख का प्रयोग भी निषेध है। कथा के अनुसार, दैत्य शंखचूड के वध के बाद उसके भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी। चूंकि शिव ने स्वयं शंखचूड का वध किया था, इसलिए उनकी पूजा में शंख का प्रयोग नहीं होता।

4.नारियल

नारियल और उसके पानी का भी भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा में प्रयोग नहीं होता। अन्य देवताओं को अर्पित की जाने वाली चीजें बाद में ग्रहण की जाती हैं, जबकि शिवलिंग पर चढ़ाई गई चीजें ग्रहण करना वर्जित है। इस कारण, शिवलिंग पर नारियल के पानी से अभिषेक नहीं किया जाता।

5.कुमकुम, सिंदूर और रोली

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कुमकुम, सिंदूर और रोली का उपयोग अन्य देवी-देवताओं की पूजा में होता है, लेकिन शिवलिंग की पूजा में ये वर्जित हैं। इनमें स्त्री तत्व होने के कारण इन्हें महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए प्रयोग करती हैं। शिवलिंग (Lord Shiva) की पूजा में चंदन या भस्म का प्रयोग किया जाता है। शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए कांसे, अष्टधातु या पीतल के बर्तन का ही प्रयोग करना चाहिए, लोहे या स्टील के बर्तन का नहीं।

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केतकी का फूल

भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा में केतकी का फूल अर्पित न करने का रहस्य शिव पुराण की एक पौराणिक कथा में छिपा है। कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मदेव और विष्णु देव के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया कि कौन सर्वश्रेष्ठ है। विवाद इतना गहरा हो गया कि इसका समाधान खोजने के लिए भगवान शिव को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने एक ज्योतिर्लिंग उत्पन्न किया और घोषणा की कि जो कोई भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत खोज लेगा, वही श्रेष्ठ कहलाएगा।

भगवान विष्णु (Shivling par  kya nhi chadhana chahiye) ज्योतिर्लिंग का अंत खोजने के लिए ऊपर की दिशा में बढ़े, जबकि ब्रह्मदेव उसकी शुरुआत खोजने के लिए नीचे की ओर चले। विष्णु देव ने जब ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं पाया तो उन्होंने अपनी हार मान ली और शिव के समक्ष स्वीकार किया कि वे ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं खोज सके। ब्रह्मदेव भी असफल रहे, लेकिन उन्हें मार्ग में केतकी का फूल मिला। उन्होंने केतकी के फूल को भगवान शिव के समक्ष झूठी गवाही देने के लिए मना लिया।

ब्रह्मदेव और केतकी का फूल जब भगवान शिव के समक्ष पहुंचे, तो ब्रह्मदेव ने झूठा दावा किया कि उन्होंने ज्योतिर्लिंग की शुरुआत खोज ली है और केतकी के फूल ने उनकी झूठी गवाही दी। भगवान शिव को सच्चाई ज्ञात थी। वे क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया, जिससे ब्रह्माजी पंचमुख से चतुर्मुख हो गए। साथ ही, शिव ने केतकी के फूल को श्राप दिया कि वह उनकी पूजा से वर्जित रहेगा। तब से केतकी का फूल भगवान शिव की पूजा में अर्पित नहीं किया जाता और इसे पाप माना जाता है।

इसलिए, चाहे सावन हो या कोई और अवसर, भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा में केतकी का फूल अर्पित न करें। यह पुरानी कथा हमें याद दिलाती है कि सच्चाई और ईमानदारी का महत्व सदा सर्वोपरि होता है।

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  • फल चढ़ाने का ध्यान: शिवलिंग पर सेब, केला, अनार और अनानास जैसे फल चढ़ाने की परंपरा आम है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार, यह उचित नहीं है। शिवलिंग पर फल चढ़ाने से उस पर भार बढ़ता है, जिससे भगवान शिव अप्रसन्न हो सकते हैं। उनकी नाराजगी का असर आपकी किस्मत पर पड़ सकता है। इसलिए, शिवलिंग पर फल और वस्त्र अर्पित करने से बचना चाहिए।
  • तिलक का चयन: शिवलिंग पर पूजा करते समय, रोली या सिंदूर का तिलक लगाने की बजाय चंदन का तिलक करना श्रेष्ठ माना जाता है। चंदन का तिलक भगवान शिव को प्रिय है और इससे पूजा की पवित्रता और प्रभाव बढ़ती है। यह ध्यान रखें कि महादेव को चंदन से तिलक करें ताकि आपकी पूजा सही तरीके से संपन्न हो।
  • परिक्रमा का नियम: मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के बाद परिक्रमा करने का महत्व है, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि शिवलिंग की पूरी परिक्रमा न करें। दूध के निर्गम स्थान पर रुककर ही लौटना उचित होता है। पूरी परिक्रमा करने से कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए इस नियम का पालन करें।
  • दीपक जलाने का ध्यान: शिवलिंग पर दीपक जलाना विशेषकर महिलाओं के लिए उचित नहीं माना जाता है। इससे घर में क्लेश और अशांति का सामना करना पड़ सकता है। शिव पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, दीपक, अगरबत्ती या धूप को शिवलिंग के जलाधारी पर नहीं रखना चाहिए। इन्हें हमेशा शिवलिंग से दूर और नीचे रखना चाहिए।

इन नियमों का पालन करके, आप महादेव की पूजा को अधिक प्रभावी और शुभ बना सकते हैं। शिवलिंग (Shivling) पर उचित वस्त्र, चंदन का तिलक, और सही परिक्रमा से भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा आपके जीवन में बनी रहती है। इन नियमों को ध्यान में रखते हुए, आप अपनी पूजा को सही तरीके से कर सकते हैं और महादेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

Conclusion:-Shivling Par kya Nhi Chadhana Chahiye

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इस प्रकार हमने जाना कि भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंदीदा चीजें जैसे बेलपत्र, धतूरा, शमी का पत्ता, काला तिल, अक्षत आदि चढ़ाना चाहिए। वहीं तुलसी, केतकी, लाल फूल, शंख से जलाभिषेक, नारियल का पानी, सिंदूर आदि से परहेज करना चाहिए। शास्त्रों में वर्जित इन चीजों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव रुष्ट हो सकते हैं। अतः शिव पूजा के दौरान इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। भगवान शिव की पूजा से संबंधित या बेहद खास लिखा अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी धार्मिक लेख भी जरूर पढ़िए साथ ही साथ हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर भी रोजाना विजिट करिए।

FAQ’s:-

Q. शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

Ans. शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना वर्जित है क्योंकि हल्दी को स्त्री तत्व से जोड़ा जाता है और शिवलिंग को पुरुष तत्व माना गया है। इसी प्रकार, तुलसी के पत्ते और शंख भी शिव पूजा में निषिद्ध हैं, क्योंकि तुलसी ने भगवान शिव से विरोध किया था और शंख का संबंध दैत्य शंखचूड से है, जिसका वध शिव ने किया था।

Q. भगवान शिव को कौन सा फूल नहीं चढ़ाना चाहिए?

Ans. भगवान शिव को केतकी का फूल अर्पित नहीं करना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार, केतकी के फूल ने ब्रह्माजी की झूठी गवाही दी थी, जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने इसे श्रापित किया। इसलिए, केतकी का फूल शिव पूजा में वर्जित है।

Q. भगवान शिव की पूजा में हल्दी का उपयोग क्यों नहीं किया जाता?

Ans. भगवान शिव की पूजा में हल्दी का उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि हल्दी स्त्री तत्व से जुड़ी होती है। शिवलिंग को पुरुष तत्व मानते हुए, इसे स्त्री तत्व से संबंधित वस्तुओं से बचना उचित माना जाता है।

Q. शिवलिंग पर नारियल और नारियल पानी का प्रयोग क्यों नहीं होता?

Ans. शिवलिंग पर नारियल और नारियल पानी का प्रयोग नहीं होता क्योंकि इन वस्तुओं को अन्य देवताओं की पूजा के लिए अर्पित किया जाता है, और शिवलिंग पर चढ़ाए गए पदार्थ ग्रहण नहीं किए जाते। इसके चलते नारियल पानी से अभिषेक करना वर्जित है।

Q. शिवलिंग की पूजा में सिंदूर का उपयोग क्यों नहीं होता?

Ans. शिवलिंग की पूजा में सिंदूर का उपयोग नहीं होता क्योंकि सिंदूर और कुमकुम का उपयोग स्त्री तत्व से जुड़ी पूजा में किया जाता है। भगवान शिव की पूजा में चंदन या भस्म का प्रयोग करना श्रेष्ठ माना जाता है।