Home व्रत कथाएँ Mahesh Navami Vrat Katha: महेश नवमी का व्रत रखने से पूरी होगी...

Mahesh Navami Vrat Katha: महेश नवमी का व्रत रखने से पूरी होगी आपकी सभी मनोकामनाएं जानिए क्या है इसका शुभ मुहूर्त 

Join Telegram Channel Join Now

Mahesh Navami Vrat Katha: महेश नवमी (Mahesh Navami)- एक ऐसा पावन पर्व जो माहेश्वरी समाज की आस्था और अटूट विश्वास का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इस समाज के इतिहास और उद्भव से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। 

प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला यह उत्सव, भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा का सुअवसर है। महेश नवमी (Mahesh Navami) की कथा इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसी घटना है, जिसने माहेश्वरी समाज के भाग्य को बदलकर रख दिया। यह वह दिन है जब इस समुदाय के पूर्वजों को भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उन्हें एक नई दिशा मिली। इस दिन की पूजा-अर्चना और विधि-विधान में छिपे हैं कई रहस्य, जो आज भी श्रद्धालुओं के मन में भक्ति और आस्था का संचार करते हैं। महेश नवमी का यह पर्व हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और अपने समाज के गौरवशाली अतीत को याद करने का अवसर देता है। यह वह समय है जब हम अपने पूर्वजों के संघर्ष और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। साथ ही, यह पर्व हमें एकजुट होकर अपनी संस्कृति और परंपराओं को संजोने की प्रेरणा भी देता है। तो आइए, इस लेख के माध्यम से हम महेश नवमी के इतिहास, महत्व और इससे जुड़ी रोचक बातों को विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं। यह एक ऐसा लेख है जो न केवल आपके ज्ञान को समृद्ध करेगा, बल्कि आपके मन में इस पावन पर्व के प्रति आस्था और सम्मान के भाव को भी जागृत करेगा। 

तो तैयार हो जाइए एक अद्भुत सफर पर, महेश नवमी (Mahesh Navami) के रहस्यों को उजागर करने के लिए…

Also Read:-प्रत्येक सोमवार रखें व्रत, भगवान शिव बरसाएंगे आप पर अपनी कृपा।

Table Of Content 

S.NOप्रश्न 
1क्या है महेश नवमी व्रत
2कब है महेश नवमी  व्रत
3महेश नवमी व्रत का महत्व
4महेश नवमी  व्रत क्यों मनाई जाती है
5महेश नवमी व्रत कथा
6महेश नवमी व्रत कथा पीडीएफ

क्या है महेश नवमी व्रत (Kya Hai Mahesh Navami Vrat)

महेश नवमी (Mahesh Navami), जिसे हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है, भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस वर्ष, यह त्योहार 15 जून 2024, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव-माता पार्वती का पूजन किया जाता हैं। माहेश्वरी समाज के अनुसार, यह उनकी उत्पत्ति का दिन माना जाता है। यह त्योहार उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है जहां सभी के बीच एकता और सम्मान बनाने के लिए कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और रैलियां आयोजित की जाती हैं। 

Also Read:-भगवान शिव की आरती, ‘ओम जय शिव ओंकारा’

कब है महेश नवमी  व्रत (Kab Hai Mahesh Navami Vrat)

महेश नवमी, जिसे हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, यह भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का दिन है। इस वर्ष, 2024 में, यह पर्व 15 जून को मनाया जाएगा।

महेश नवमी व्रत का महत्व (Mahesh Navami Vrat Significance)

महेश नवमी का महत्व दो प्रमुख बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • धार्मिक महत्व: भक्तों का मानना है कि इस दिन अभिषेक और पूजा करने से उन्हें समृद्धि, धन, खुशी, और अनंत आनंद मिलता हैइस दिन भक्त गंगा जल, फूल, और बिल्व पत्तियाँ भगवान शिव को चढ़ाते हैं और विभिन्न मंत्रों का जप करते हैं।
  • सामाजिक महत्व: महेश नवमी, माहेश्वरी समाज के लिए उनके उत्पत्ति दिवस के रूप में मनाई जाती है। माहेश्वरी समाज ने इस दिन को उनके जन्म दिवस के रूप में मनाने का आयोजन किया है, और इसे प्रतिवर्ष महेश नवमी त्योहार के रूप में मनाते हैं।

महेश नवमी  व्रत क्यों मनाई जाती है (Kyun Manai Jati Hai Mahesh Navami Vrat)

महेश नवमी (Mahesh Navami) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती ने महेश्वरी  समाज को अपना आशीर्वाद दिया था। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने से इच्छाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भक्तगण व्रत रखकर, ध्यान लगाकर और भगवान शिव को बेल पत्र, फूल, फल आदि अर्पित करके उनकी आराधना करते हैं। 

Also Read:-भगवान शिव और नंदी बैल की कथा

महेश नवमी व्रत कथा (Mahesh Navami Vrat katha)

एक समय की बात है जब खडगलसेन नामक एक राजा राज करता था। उसके कोई संतान नहीं थी। पुत्रकामेष्टी यज्ञ से राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम कुंवर सुजान रखा गया। ऋषियों ने राजा को चेतावनी दी कि 20 वर्ष तक पुत्र को उत्तर दिशा में न जाने दें।

एक दिन राजकुमार शिकार खेलते हुए उत्तर दिशा में सूरज कुण्ड की ओर चला गया। वहां कुछ ऋषियों को यज्ञ करते देख वह क्रोधित हो गया और सैनिकों से यज्ञ में विघ्न डलवाया। इससे क्रोधित होकर ऋषियों ने श्राप दे दिया जिससे राजकुमार और सभी सैनिक पत्थर बन गए। यह समाचार सुनकर राजा खडगलसेन का निधन हो गया और सभी रानियां विधवा हो गईं। राजकुमार की पत्नी चंद्रावती अन्य सैनिकों की पत्नियों के साथ ऋषियों के पास गई और क्षमा याचना की। ऋषियों ने उन्हें उमापति भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने को कहा। रानी चंद्रावती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषियों के श्राप को निष्फल कर दिया और उसे अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया। राजकुमार सुजान ने सभी सैनिकों के साथ क्षत्रिय धर्म त्याग दिया और व्यापार करने लगे। वे भगवान शिव के नाम पर माहेश्वरी कहलाने लगे। तभी से माहेश्वरी समाज में महेश नवमी का पर्व मनाया जाने लगा।

महेश नवमी (Mahesh Navami) माहेश्वरी समाज का प्रमुख पर्व है जो हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की स्थापना हुई थी। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तों का विश्वास है कि पूरी श्रद्धा और निष्ठा से इस व्रत को करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Also Read:- महेश नवमी की व्रत कथा के नियम और महत्व? जानिए

महेश नवमी व्रत कथा पीडीएफ (Mahesh Navami Vrat Katha PDF)

महेश नवमी व्रत कथा PDF Download

महेश नवमी की व्रत कथा से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे शेयर कर रहे हैं, इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड (Download) करके आप महेश नवमी की व्रत कथा का पूरा आनंद ले सकते हैं।

Also Read:- सोमवार के दिन इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

Conclusion:-

महेश नवमी का त्योहार न केवल माहेश्वरी समाज बल्कि सभी शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। महेश नवमी की पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो हमारे अन्य सभी त्योहार और व्रत से संबंधित लेख भी जरूर पढ़िए और ऐसे ही और भी विशेष लेख के लिए हमारी वेबसाइट जन भक्ति पर रोजाना विजिट भी करिए।

FAQ’s

Q. महेश नवमी क्या है? 

Ans. महेश नवमी (Mahesh Navami) हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला एक पावन त्योहार है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। माहेश्वरी समाज में यह दिन उनकी वंशोत्पत्ति का प्रतीक माना जाता है।

Q. महेश नवमी का क्या महत्व है? 

Ans. महेश नवमी (Mahesh Navami) का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। माहेश्वरी समाज के लिए यह दिन उनके पूर्वजों की उत्पत्ति का प्रतीक है।

Q. महेश नवमी की कथा क्या है? 

Ans. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय थे जिन्हें एक बार शिकार के दौरान ऋषियों ने श्राप दे दिया था। भगवान शिव ने इस दिन उन्हें श्राप से मुक्त किया और उनकी रक्षा की। शिव जी ने उन्हें हिंसा छोड़कर अहिंसा का मार्ग दिखाया और अपनी कृपा से उन्हें माहेश्वरी नाम दिया।

Q. महेश नवमी के दिन पूजा कैसे करें? 

Ans. महेश नवमी के दिन प्रातः स्नान के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की जाती है। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाया जाता है। शिव मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ किया जाता है। भक्तिभाव से महेश वंदना की जाती है।

Q. महेश नवमी पर कौन से मंत्रों का जाप किया जाता है? 

Ans. महेश नवमी पर भगवान शिव के इन मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है – ॐ नमः शिवाय, ॐ नमो भगवते रुद्राय, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्तये मह्यं मेधां प्रज्ञां प्रयच्छ स्वाहा।

Q. महेश नवमी कब मनाई जाती है? 

Ans. महेश नवमी (Mahesh Navami) प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह तिथि मई या जून के महीने में पड़ती है। इस वर्ष 2022 में महेश नवमी 15जून को मनाई गई।