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Narada Jayanti: कब और क्यों मनाई जाती है नारद जयंती? जानिए नारद जयंती की व्रत कथा

Narada Jayanti 2024
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Narada Jayanti: नारद मुनि – हिंदू धर्म के सबसे प्रसिद्ध और पूज्य ऋषियों में से एक। उनका नाम सुनते ही हमारे मन में ‘नारायण-नारायण’ का जाप गूंजने लगता है। ये भगवान विष्णु के परम भक्त और ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे। 

अपनी वीणा के साथ त्रिलोक में विचरण करते हुए, नारद मुनि ज्ञान और भक्ति का प्रसार करते थे। उन्हें देवताओं का ऋषि माना जाता है और वे देवताओं, गंधर्वों और राक्षसों के बीच संबंध स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। नारद मुनि की जयंती हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन उनकी पूजा करने से ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। हालांकि, हाल के धार्मिक चलचित्रों और वृत्तचित्रों में उनके चरित्र को नकारात्मक रूप से चित्रित किया गया है, जो उनके विद्वतापूर्ण और दिव्य स्वभाव के साथ अन्याय है।

तो आइए, इस लेख में हम नारद मुनि के जीवन, उनकी उपलब्धियों और उनकी जयंती के महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम उनके द्वारा सिखाए गए मूल्यों और सिद्धांतों पर भी प्रकाश डालेंगे, जो आज भी प्रासंगिक हैं। साथ ही, हम नारद जयंती पर उनकी पूजा विधि और इस दिन व्रत रखने के लाभों के बारे में भी चर्चा करेंगे। 

तो पढ़ते रहिए, क्योंकि यह लेख आपको नारद मुनि के बारे में एक नई अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा और उनके प्रति आपकी श्रद्धा को और बढ़ाएगा…!!

नारद जयंतीTable Of Content 

S.NOप्रश्न 
1क्या है नारद जयंती
2कब है नारद जयंती
3कौन है नारद मुनि
4नारद जयंती मुहूर्त
5नारद जयंती का महत्व क्या है
6नारद जयंती का इतिहास
7नारद मुनि की कहानी 
8नारद जयंती पूजा विधि
9नारद मुनि मंत्र
10नारद मुनि के बारे में रोचक तथ्यें
11नारद जयंती उत्सव

क्या है नारद जयंती (What is Narada Jayanti?)

नारद जयंती (Narada Jayanti) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो प्रतिवर्ष वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के परम भक्त और दूत नारद मुनि के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। नारद मुनि को देवर्षि भी कहा जाता है और वे अपनी वीणा के साथ भगवान विष्णु का भजन करते हुए तीनों लोकों में विचरण करते हैं। उन्हें देवताओं के बीच संदेश और सूचनाओं को पहुंचाने वाला सर्वश्रेष्ठ संवाददाता माना जाता है।

कब है नारद जयंती (When is Narada Jayanti?)

नारद जयंती (Narada Jayanti), हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार, हर वर्ष ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है। यह त्योहार नारद जी, जो भगवान विष्णु के प्रमुख भक्त माने जाते हैं, के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2024 में, नारद जयंती का आयोजन 24 मई को होगा ।

कौन है नारद मुनि (Who is Narada Muni?)

नारद मुनि (Narada Jayanti) हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पात्र हैं, जो भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के महान भक्त के रूप में माने जाते हैं। उन्हें भगवान ब्रह्मा के मनस पुत्रों में से एक माना जाता है, जो उनके गले से उत्पन्न हुए थे । नारद मुनि (Narada Jayanti) को संगीत, चिकित्सा और ज्योतिष जैसी विभिन्न कलाओं और विज्ञानों का ज्ञाता माना जाता है, उन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है, जिससे उन्हें भूत, वर्तमान और भविष्य की जानकारी होती है। नारद मुनि (Narad Muni) का जीवन नारद पुराण में विस्तार से वर्णित है, और वे अक्सर वीणा के साथ दर्शाए जाते हैं, जिससे उन्होंने दिव्य संगीत की रचना की थी ।

नारद जयंती मुहूर्त (Narada Jayanti Muhurat)

नारद जयंती (Narada Jayanti) इस साल 24 मई को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जी का अवतरण हुआ था। इस वर्ष कृष्ण प्रतिपदा तिथि 23 मई की शाम 7:21 बजे से शुरू होकर 24 मई की शाम 7:24 बजे तक रहेगी। उदयातिथि की मान्यता को ध्यान में रखते हुए, नारद जयंती 24 मई को ही मनाई जाएगी। इस दिन आप सुबह 8 बजे से पहले पूजा-अर्चना कर सकते हैं, जबकि शाम की पूजा के लिए शाम 7 बजे के बाद का समय उपयुक्त रहेगा।

कृष्ण प्रतिपदा तिथि 23 मई शाम 7:21 बजे से शुरू होकर
24 मई शाम 7:24 बजे तक रहेगी।

नारद जयंती का महत्व क्या है (Importance of Narada Jayanti)

नारद जयंती (Narada Jayanti) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो नारद मुनि (Narad Muni) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। नारद मुनि को भगवान विष्णु के परम भक्त और ब्रह्मा जी के मानस पुत्र माना जाता है। 

वे अपनी वीणा के साथ तीनों लोकों में यात्रा करते थे और देवताओं तथा असुरों दोनों का मार्गदर्शन करते थे। नारद मुनि ने अपनी कठोर तपस्या से ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त किया और विष्णु भगवान की कृपा से तीनों लोकों में विचरण करने का वरदान पाया। उन्हें पहला पत्रकार भी माना जाता है क्योंकि वे एक लोक से दूसरे लोक तक सूचनाओं का प्रसार करते थे। नारद जयंती (Narada Jayanti) पर उनकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पत्रकारिता से जुड़े लोगों को सफलता मिलती है।

नारद जयंती का इतिहास (History of Narada Jayanti)

नारद जयंती (Narada Jayanti), हिन्दू धर्म में बहुत ही आदरणीय ऋषि नारद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। 

नारद जी को भगवान ब्रह्मा (Lord Brahma) का पुत्र और सागर कश्यप का शिष्य माना जाता है। उन्हें तीनों लोकों – स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल – में यात्रा करने की शक्ति मानी जाती है, और वे मरे हुए आत्माओं को मोक्ष की दिशा में मार्गदर्शन देते हैं। नारद जी का जन्मदिन विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त इस दिन जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान विष्णु और नारद जी की पूजा करते हैं, इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। नारद जयंती को पत्रकार दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि नारद जी को पहले पत्रकार माना जाता है। वे उनकी भूमिका के कारण समाचार और जानकारी को व्यापक रूप से फैलाने के लिए प्रसिद्ध हैं।

संगीत और कविता के प्रेमी नारद जी का चित्रण एक वीणा धारी साधु के रूप में होता है।

नारद मुनि की कहानी (Narada Muni Story)

नारद मुनि (Narad Muni) हिंदू धर्म के प्रमुख ऋषियों में से एक हैं। उनका जन्म ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में हुआ था। नारद जी भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के परम भक्त थे और उनका जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित था।

नारद मुनि (Narad Muni) विभिन्न लोकों में यात्रा करते थे और देवताओं तथा मनुष्यों तक संदेश पहुँचाते थे। वे अपनी वीणा के माध्यम से गायन करके ज्ञान का प्रसार करते थे। उन्होंने कलियुग में भक्ति और मोक्ष प्राप्ति के उपाय के रूप में सत्यनारायण व्रत (Satyanarayan Vrat) का महत्व बताया गया है। नारद मुनि ने मनुष्यों के कर्मों से उत्पन्न दुखों को देखकर भगवान विष्णु से उनके निवारण का मार्ग पूछा था। प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें सत्यनारायण व्रत का रहस्य बताया, जिसे श्रद्धा और भक्ति से करने पर सुख-समृद्धि और अंततः मोक्ष मिल सकता है।

नारद मुनि को व्यासजी, वाल्मीकि और शुकदेव जी का गुरु माना जाता है। उन्होंने रामायण और श्रीमद्भागवत पुराण जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों को मनुष्यों तक पहुँचाया। 

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नारद जयंती पूजा विधि (Narada Jayanti Puja Method)

नारद जयंती (Narada Jayanti) पर पूजा करने के निम्नलिखित चरण हैं:

  • सुबह जल्दी उठें, स्नान करें, और पूजा शुरू करने से पहले खुद को शुद्ध करें।
  • एक पवित्र स्थल स्थापित करें और संत नारद की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • पूजा करें, फूल, अगरबत्ती, और दीपक की आहुति दें।
  • संत नारद और भगवान विष्णु के समर्पित मंत्र, स्तोत्र, या प्रार्थनाएं पढ़ें।
  • प्रसाद की आहुति देकर और कृतज्ञता व्यक्त करके पूजा समाप्त करें।

पूजा के दौरान भगवद्गीता (Bhagwatgeeta) का पाठ करने, और नारद मुनि (Narad Muni) को फल, मिठाई, और अन्य चीजें आहुति देने का मान्यता है।यह भी माना जाता है कि इस दिन ब्राह्मणों को दान देना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

नारद मुनि मंत्र (Narad Muni Mantra)

S.NO प्रमुख मंत्र
1.ॐ विष्णु प्रियाय महालक्ष्मै नमः
2.ॐ नारदाय नम:

नारद मुनि के बारे में रोचक तथ्यें (Interesting facts about Narad Muni)

  • नारद मुनि (Narad Muni) का जन्म गंधर्व उपबर्हण के रूप में हुआ था। ब्रह्मा जी के श्राप के कारण उन्हें एक शूद्र दासी के पुत्र के रूप में जन्म लेना पड़ा।
  • नारद मुनि (Narad Muni) को देवर्षि कहा जाता है। वे देवताओं के दूत माने जाते हैं और अक्सर देवताओं और मनुष्यों के बीच महत्वपूर्ण संदेश पहुंचाते हैं।
  • नारद मुनि भगवान विष्णु के परम भक्त हैं। वे हमेशा भगवान विष्णु के गुण गाते रहते हैं और उनकी भक्ति का प्रचार करते हैं।
  • नारद मुनि को संगीत का देवता भी माना जाता है। वे वीणा बजाने में माहिर थे और उनका संगीत बेहद मधुर होता था।
  • नारद मुनि को कलह-प्रिय ऋषि भी कहा जाता है। वे अक्सर लोगों के बीच मतभेद पैदा करते थे ताकि उन्हें सही रास्ते पर ला सकें ।
  • नारद मुनि का जन्मदिन नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है।
  • नारद मुनि ने गायत्री मंत्र को ऋषि विश्वामित्र को सिखाया था। इस प्रकार उन्होंने इस शक्तिशाली मंत्र को मानव जाति तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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नारद जयंती उत्सव (Narada Jayanti Event)

नारद जयंती (Narada Jayanti) का उत्सव देशभर में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व प्रतिवर्ष वैशाख मास की कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को आता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मई या जून के महीने में पड़ता है। 

इस वर्ष 2024 में नारद जयंती 24 मई को मनाई जाएगी। इस दिन भक्तगण प्रातः स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करते हैं। फिर भगवान विष्णु और नारद मुनि की पूजा-अर्चना करते हैं। उन्हें चंदन, तुलसी, कुमकुम, धूप-दीप, फूल-मिठाई आदि अर्पित करते हैं। कई भक्त नारद जयंती का व्रत भी रखते हैं और दिनभर भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं। मुख्यतः उत्तर भारत के क्षेत्रों में इस दिन शैक्षणिक सत्र और सेमिनार का आयोजन किया जाता है। कर्नाटक में स्थित नारद मुनि के मंदिरों में भी विशेष पूजा और उत्सव होते हैं। काशी में नारद मुनि के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है।

नारद जयंती की पूर्व संध्या पर दान-पुण्य करना भी अत्यंत फलदायी होता है। भक्तगण ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देते हैं।

Conclusion:

नारद जयंती (Narada Jayanti) हमें सत्य, ज्ञान और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। नारद मुनि, जिन्हें देवर्षि, संगीतकार, कथाकार और संदेशवाहक के रूप में जाना जाता है, नारद जयंती के इस पावन अवसर पर, आइए हम उनके जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा ग्रहण करें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें। नारद जयंती से संबंधित या विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी आर्टिकल्स को भी एक बार जरुर पड़ी है और हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in  पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:

Q. नारद मुनि कौन थे? 

Ans. नारद मुनि हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध देवर्षि थे। उन्हें भगवान विष्णु के परम भक्त के रूप में जाना जाता है। नारद जी को ब्रह्मा के मानस पुत्र माना जाता है और वे अपनी वीणा बजाते हुए सभी लोकों में विचरण करते थे। उन्होंने भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का प्रचार किया।

Q. नारद जयंती का क्या महत्व है? 

Ans. नारद जयंती को नारद मुनि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हिंदू कैलेंडर के वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को पड़ता है। इस दिन नारद जी की पूजा करने और उनकी कथाएं सुनने का विशेष महत्व है। नारद जयंती को पत्रकार दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

Q. नारद जयंती पर क्या किया जाता है? 

Ans. नारद जयंती के दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान विष्णु या नारद जी की पूजा करते हैं। वे देवता को फूल, फल, धूप और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करते हैं। पूजा के बाद, भक्त नारद जी को समर्पित प्रार्थनाएं, भजन और मंत्र पढ़ते हैं। इस दिन व्रत रखने और ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराने का भी महत्व है।

Q. नारद जी का हिंदू पौराणिक कथाओं में क्या योगदान है? 

Ans. नारद जी हिंदू पौराणिक कथाओं के एक केंद्रीय पात्र हैं। उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है जो देवताओं और मनुष्यों के बीच संघर्ष पैदा करता है, लेकिन अंततः उनके समाधान में मदद करता है। नारद जी संगीत के विस्तृत ज्ञान के लिए भी जाने जाते हैं और उन्हें वीणा के आविष्कारक माना जाता है।

Q. नारद जी का भगवान विष्णु से क्या संबंध है? 

Ans. नारद जी को भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्तों में से एक माना जाता है। वे अक्सर भगवान की संगति में देखे जाते हैं। उनकी अटूट भक्ति के लिए जाने जाते हैं और माना जाता है कि उन्हें भगवान विष्णु से दिव्य ज्ञान और बुद्धि प्राप्त हुई थी। नारद जी को भगवान विष्णु और उनके भक्तों के बीच एक दूत के रूप में भी जाना जाता है।

Q. नारद जी भागवत पुराण में क्या भूमिका निभाते हैं? 

Ans. नारद जी भागवत पुराण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। उन्हें एक घुमक्कड़ ऋषि के रूप में दर्शाया गया है जो तीनों लोकों में यात्रा करते हैं और भगवान विष्णु का संदेश फैलाते हैं।