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Dilwara Jain Temple: सात अजूबों को भी चुनौती देता है दिलवाड़ा का यह प्रसिद्ध जैन मंदिर, जानिए इसका प्राचीन इतिहास

Dilwara Jain Temple
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Dilwara Jain Temple: भारत (India) की धरती पर अनेक ऐसे स्थान हैं जो अपनी कलात्मकता, ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है – दिलवाड़ा जैन मंदिर। 

यह मंदिर राजस्थान (Rajasthan) के सिरोही जिले में माउंट आबू की पहाड़ियों में स्थित है। यह मंदिर न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। दिलवाड़ा जैन मंदिर वास्तव में पाँच मंदिरों का एक समूह है जो अपनी अद्भुत वास्तुकला, नक्काशी और मूर्तिकला के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इन मंदिरों को सफेद संगमरमर से बनाया गया है और इनकी कलाकृतियाँ इतनी सुंदर और कलात्मक हैं कि देखने वाला दंग रह जाता है। दिलवाड़ा जैन मंदिर न केवल भारतीय वास्तुकला के अनमोल रत्न हैं, बल्कि ये मंदिर हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी अभिन्न अंग हैं। इन मंदिरों की यात्रा करना हर भारतीय का सपना होता है। 

आइए, इस लेख के माध्यम से हम दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) की खूबसूरती और इतिहास का सफर तय करते हैं और इस अनमोल धरोहर के बारे में विस्तार से जानते हैं।

दिलवाड़ा जैन मंदिर के बारे में (About Dilwara Jain Temple)

मंदिर का मोबाइल नंबर08875018311
मंदिर का पता दिलवाड़ा, माउंट आबू, राजस्थान 307501
मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट https://www.kppedhi.org/ 
मंदिर में प्रवेश शुल्कमंदिर में प्रवेश नि:शुल्क है
माउंट आबू बस स्टैंड से मंदिर की दूरी3.5 किलोमीटर
निकटतम रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 28 किलोमीटर 
उदयपुर एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी178.0 किलोमीटर
Google Map https://maps.app.goo.gl/cQzaPJnB4xyDWiYt9

दिलवाड़ा जैन मंदिर का इतिहास क्या है? (What is the History of Dilwara Jain Temple)

दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) राजस्थान (Rajasthan) के माउंट आबू में स्थित एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है। इसका निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था। 

मंदिर का प्राचीनतम भाग विमल वसही है जिसका निर्माण 1031 ई. में गुजरात के सोलंकी राजा के मंत्री विमल शाह ने कराया था। मंदिर परिसर में कुल पाँच मुख्य मंदिर हैं जो विभिन्न जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं। सबसे प्राचीन विमल वसही मंदिर प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है। इसके स्तंभों पर सुंदर नक्काशी और जैन संतों की छोटी प्रतिमाएं हैं। लुन वसही मंदिर 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ को समर्पित है जिसका निर्माण 1230 ई. में तेजपाल और वस्तुपाल नामक दो भाइयों ने कराया था। पीतलहर मंदिर भी ऋषभदेव को समर्पित है जिसमें सभी मूर्तियां पीतल की बनी हैं। पार्श्वनाथ मंदिर सबसे विशाल है और इसमें चार बड़े मंडप हैं। महावीर स्वामी मंदिर 24वें तीर्थंकर महावीर को समर्पित है जो 1582 ई. में बना। 

यह मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।

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दिलवाड़ा जैन मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Dilwara Jain Temple)

दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) की वास्तुकला अद्वितीय और सराहनीय है, जो उत्कृष्ट शिल्पकारी और विशाल इतिहास के साथ जैन धर्म की महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा स्थलों में से एक है:

  • स्थान: यह मंदिर राजस्थान (Rajasthan) के माउंट अबू में स्थित है, जो अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा है, मंदिर का निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच निर्माण करवाया गया था।
  • संरचना: मंदिर का बाहरी हिस्सा बहुत साधारण दिखाई देता है, लेकिन असली सौन्दर्य इसकी अंदर की शिल्पकारी में है, चार द्वार, हरे पहाड़, छत, दरवाज़े, स्तम्भ, और पैनल बहुत ही सूक्ष्मता से तराशे गए हैं।
  • सामग्री: मंदिर की निर्माण में संगमरमर का व्यापक उपयोग हुआ है, उन्हें पहाड़ी ऊंचाईयों पर ले जाना एक बड़ी चुनौती थी, जिसके लिए हाथियों का उपयोग किया गया।
  • मंदिरों की संख्या: दिलवाड़ा मंदिर (Dilwara Jain Temple) में कुल पांच अद्वितीय मंदिर हैं, जो पांच अलग-अलग जैन तीर्थंकरों (संतों) को समर्पित हैं।
  • शिल्पकारी: इन मंदिरों की दीवारों पर विस्तृत शिल्पकारी है, जो छोटे जैन संतों की मूर्तियों, खुले आंगन के सुंदर संगमरमर के स्तम्भ, और बड़े मंदपों के द्वारा सुशोभित है।

दिलवाड़ा जैन मंदिर कैसे पहुंचे (How to reach Dilwara Jain Temple)

दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) तक पहुंचने के लिए विभिन्न मार्ग हैं – रेल, सड़क, और हवाई – जिसे हम निम्नलिखित रूप में विस्तारित कर सकते हैं:

  • रेल मार्ग (By Railway): अबू रोड नगर निगम, जो माउंट आबू से 28 किलोमीटर दूर है, यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन है यहां से आप किसी टैक्सी या ऑटो-रिक्शा का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग (By Road): माउंट आबू राजस्थान और गुजरात के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, यहां तक पहुंचने के लिए बस या कार का उपयोग किया जा सकता है. माउंट आबू बस डिपो से दिलवाड़ा जैन मंदिर का ट्रैक 3.5 किलोमीटर है।
  • हवाई मार्ग (By Air): उदयपुर हवाई अड्डा, जो माउंट आबू से लगभग 178 किलोमीटर दूर है, यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, उदयपुर से आपको माउंट आबू तक बस या टैक्सी लेनी होगी।

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दिलवाड़ा जैन मंदिर में दर्शन का समय (Darshan Timings In Dilwara Jain Temple)

राजस्थान के प्रसिद्ध दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) में दर्शन की समय सारणी कुछ इस प्रकार है-

दर्शन का समयसमय सारणी 
प्रातः काल सुबह 6:00 से दोपहर 12:00 तक
संध्या कालदोपहर 12:00 से शाम 6:00 बजे तक

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दिलवाड़ा जैन मंदिर की फोटो (Photo of Dilwara Jain Temple)

इस विशेष लेख के जरिए हम आपसे दिलवाड़ा के प्रसिद्ध जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) की बेहद खास तस्वीरें साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इन तस्वीरों को डाउनलोड भी कर सकते हैं और अपने प्रिय जनों के साथ साझा भी कर सकते हैं।

विशेष आयोजन

दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) में कई विशेष आयोजन होते हैं जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) अप्रैल में मनाई जाती है जिसमें प्रार्थना, जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। अगस्त/सितंबर में आठ दिवसीय पर्युषण पर्व आत्म-चिंतन, ध्यान और क्षमा याचना के लिए समर्पित होता है। जनवरी में मकर संक्रांति पर भक्त एकत्रित होकर पूजा-अर्चना और अनुष्ठान करते हैं। ये आयोजन दिलवाड़ा मंदिरों के समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाते हैं।

Conclusion:

दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) केवल एक धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि वे भारतीय कला और संस्कृति का एक अमूल्य खजाना भी हैं। दिलवाड़ा जैन मंदिर (Dilwara Jain Temple) से संबंधित यह विशेष लेख अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इस लेख को अपने सभी मित्रगणों एवं परिवारजनों के साथ भी साझा करें। इस लेख से उत्पन्न अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो तो उन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए आपके सभी प्रश्नों के हर संभव जवाब देने का भी प्रयास करेंगे, ऐसे और भी मंदिरों से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:  

Q. दिलवाड़ा जैन मंदिर में कुल कितने मंदिर हैं? 

Ans. दिलवाड़ा जैन मंदिर वास्तव में पाँच अलग-अलग मंदिरों का समूह है। ये पाँच मंदिर विमल वसाही, लूणा वसाही, पीतलहार, खरतर वसाही और महावीर स्वामी के नाम से जाने जाते हैं। ये सभी मंदिर अपनी वास्तुकला और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं।

Q. दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण कब हुआ था?

Ans. दिलवाड़ा जैन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था। सबसे पहले विमल वसाही मंदिर का निर्माण 1021 ईस्वी में गुजरात के राजा विमल शाह द्वारा कराया गया था। इसके बाद अन्य मंदिरों का निर्माण क्रमशः 13वीं से 16वीं शताब्दी तक होता रहा।

Q. विमल वसाही मंदिर किस तीर्थंकर को समर्पित है? 

Ans. विमल वसाही मंदिर जैन धर्म के पहले तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। यह दिलवाड़ा मंदिर समूह का सबसे प्रसिद्ध और पहला मंदिर है। इस मंदिर में एक विशाल हॉल, एक केंद्रीय गुंबद और 12 स्तंभ हैं जो जटिल नक्काशी से सजाए गए हैं।

Q. लूणा वसाही मंदिर की क्या विशेषता है? 

Ans. लूणा वसाही मंदिर 22वें जैन तीर्थंकर नेमिनाथ को समर्पित है। इस मंदिर में एक केंद्रीय गुंबद, एक बड़ा हॉल और एक हाथी थाला है, जो जैन मंदिरों की एक अनूठी विशेषता है। हाथी थाला एक ऐसा आसन है जहाँ मंदिर के संरक्षक देवता विराजमान होते हैं।

Q. पीतलहार मंदिर किसके द्वारा बनवाया गया था? 

Ans. पीतलहार मंदिर का निर्माण 1281 ईस्वी में भीमा सेठ नामक एक धनी व्यापारी द्वारा कराया गया था। यह मंदिर पहले जैन तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता देवता की विशाल कांस्य प्रतिमा है जो यहाँ स्थापित की गई है।

Q. खरतर वसाही मंदिर की क्या विशेषताएँ हैं? 

Ans. खरतर वसाही मंदिर 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1459 ईस्वी में हुआ था। मंदिर में जटिल नक्काशी और एक केंद्रीय गुंबद है। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए जाना जाता है।