Home कथा वाचक Ram Katha Vachak List : रामभद्राचार्य से लेकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री तक,...

Ram Katha Vachak List : रामभद्राचार्य से लेकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री तक, जानिए भारत के 10 प्रसिद्ध राम कथा वाचकों के बारे में

List of Ram Kath Vachak 
Join Telegram Channel Join Now

Ram Katha Vachak List: भारत (India) की प्राचीन धरती पर जहां अनेक संत-महात्माओं ने जन्म लिया, वहीं कई महान कथावाचकों ने भी इस पावन भूमि को अपनी अमूल्य वाणी से सराबोर किया है। इन्हीं महान विभूतियों में से एक हैं राम कथा (Ram Katha) के वाचक, जिन्होंने अपनी प्रेरणादायी कथाओं के माध्यम से करोड़ों लोगों के जीवन को एक नई दिशा दी है।

राम कथा हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है, जो सदियों से हमारे समाज को एकता और सद्भाव के सूत्र में पिरोती आ रही है। यह कथा न केवल भगवान राम (Lord Ram) के जीवन की गाथा है, बल्कि मानव मूल्यों, धर्म और नैतिकता की भी एक अनूठी मिसाल है। और इस अनमोल धरोहर को जन-जन तक पहुंचाने का श्रेय जाता है हमारे प्रसिद्ध राम कथा वाचकों को। इन कथावाचकों ने अपनी सरल और मार्मिक शैली से राम कथा को एक नया आयाम दिया है। उनकी वाणी में एक अद्भुत जादू है, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती है। चाहे वह मोरारी बापू हों, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री हों या फिर देवकी नंदन ठाकुर, इन सभी ने अपनी अनूठी शैली से राम कथा को एक नया रूप दिया है।

इन महान कथावाचकों (Kathavachak)  की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी कथाओं को सुनने के लिए लोग सैकड़ों मील दूर से आते हैं। उनकी कथाएं न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाती हैं। वे अपनी कथाओं के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते हैं।

आज हम आपको भारत के 10 सर्वश्रेष्ठ राम कथा वाचकों के बारे में बताने जा रहे हैं। इनकी प्रेरणादायी जीवन यात्रा और उनकी अद्भुत कथा शैली से रूबरू होने का यह एक सुनहरा अवसर है। तो चलिए, शुरू करते हैं यह रोमांचक सफर राम कथा (Lord Ram) की दुनिया में।

List of Ram Kath Vachak 

S.NOप्रसिद्ध राम कथा वाचकों के नाम
1जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी
2मोरारी बापू
3धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
4देवकीनंदन ठाकुर जी
5श्री रमेश भाई ओझा
6विद्यानंद जी महाराज
7श्री प्रेम भूषण जी महाराज
8श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री
9जया किशोरी

जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (Jagadguru Rambhadracharya Ji)

Jagadguru Rambhadracharya Ji

जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (Jagadguru Rambhadracharya ji), एक प्रसिद्ध विद्वान, कवि, लेखक, शिक्षाविद, दार्शनिक, और हिन्दू गुरु हैं, जो उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में निवास करते हैं। वे गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) जी के अवतार माने जाते हैं और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया है। वे एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता हैं और आधुनिक काल में लोकप्रियता प्राप्त की है।

रामभद्राचार्य जी (Rambhadracharya ji) का जन्म 14 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के सांदी खुर्द गाँव में हुआ | वे अपनी बुआ, मीरा बाई की प्रेरणा से गिरिधर कहलाए। वे जन्मजात अंधे थे, लेकिन उनकी याददाश्त अद्वितीय है और वे लंबे पाठों को आसानी से याद कर लेते हैं। रामभद्राचार्य जी (Rambhadracharya ji) ने चित्रकूट में दिव्यांगों के लिए पहली आवासीय विश्वविद्यालय की स्थापना की है। उन्होंने चित्रकूट और गुजरात के राजकोट में कई शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों की स्थापना की है। उनका जीवन भक्ति और मानवता सेवा के प्रति समर्पित है। रामभद्राचार्य जी की रामकथा (Ram Katha) का कोई सामान्य कथा नहीं है। वे रामचरितमानस के श्लोकों को अपने अद्वितीय शैली में बोलते हैं। उनकी रामकथा (Ram Katha) ने उन्हें विश्व भर में मान्यता दिलाई है और उन्हें विश्व धर्म चक्र प्रवर्तन के प्रवर्तक माना जाता है। तो यह थी जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी की कहानी, जिन्होंने अपनी जिंदगी को धर्म, भक्ति, और मानवता सेवा के नाम किया। उनकी जीवनी ने हमें यह सिखाया है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। जगतगुरु रामभद्राचार्य जी (Rambhadracharya ji) देश ही नहीं दुनिया भर में अपनी राम कथा के लिए मशहूर हैं लेकिन आपको बता दें कि रामभद्राचार्य जी भगवान श्री राम जी की कथा करने के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क यह कथा फीस भी नहीं लेते हैं, वे एक आध्यात्मिक गुरु हैं और उनका मुख्य उद्देश्य धर्म और समाज सेवा है।

मोरारी बापू  (Morari Bapu)

Morari Bapu

मोरारी बापू (Morari Bapu), जिनका असली नाम मोरारीदास प्रभुदास हरियाणी है, का जन्म 25 सितंबर 1946 को गुजरात (Gujarat) के महुवा के पास तलगाजर्डा गांव में हुआ था। वे अपने पिता प्रभुदास हरियाणी के आठ बच्चों में से एक थे। मोरारी बापू का पालन-पोषण एक आध्यात्मिक वातावरण में हुआ। उनकी दादी अमृत माँ उन्हें लोक कथाएं सुनाती थीं और उनके दादा त्रिभुवनदासजी उन्हें रामचरितमानस सुनाते थे।

मोरारी बापू (Morari Bapu) ने 14 साल की उम्र में तलगाजर्डा के रामजी मंदिर में रामचरितमानस का पाठ शुरू किया। वे पिछले 50 सालों से रामचरितमानस और अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर रहे हैं। उनके प्रवचनों का भारत और विदेशों में लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। मोरारी बापू की राम कथा  (Ram Katha) सिर्फ एक धार्मिक प्रवचन नहीं है बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है जो शांति, सद्भाव और एकता को बढ़ावा देता है। वे अपनी राम कथा (Ram Katha) का इस्तेमाल लैंगिक समानता, सभी के लिए शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे विभिन्न सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए करते रहे हैं। 2016 में, मोरारी बापू ने मुंबई में एक ट्रांसजेंडर-अनुकूल राम कथा (Ram Katha) का आयोजन किया, जिसकी कई लोगों ने सराहना की। मोरारी बापू ने समाज और हिंदू धर्म में योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं। उन्हें 2016 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उन्हें भारत में हिंदू मठों के शीर्ष निकाय अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा “रामायण आचार्य” की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।

आज तक मोरारी बापू ने पूरी दुनिया में 900 से ज्यादा राम कथाएं सुनाई हैं। वे अपनी अद्वितीय कथा-वाचन शैली, रामायण के गहन ज्ञान और लोगों से जुड़ने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उनकी राम कथा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। राम कथा (Ram Katha) के लिए विश्वप्रसिद्ध मोरारी बापू जी कथा के जरिए जो भी कमाते हैं वह सब दान एवं पुण्य के कार्यों में लगा देते हैं, यह जानकर आपको हैरानी होगी कि मोरारी बापू एक रुपए भी स्वयं के ऊपर खर्च नहीं करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुरारी बापूजी की सालाना कमाई 300 करोड रुपए है , एक कथा करने के लिए मोरारी बापू 12 से 14 लख रुपए तक चार्ज करते हैं।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri)

Dhirendra Krishna Shastri

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri), जिन्हें बागेश्वर महाराज के नाम से भी जाना जाता है, मध्य प्रदेश, भारत के बागेश्वर धाम मंदिर (Bageshwar Dham Temple) के प्रमुख पुजारी और एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता हैं। 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे शास्त्री जी का बचपन आर्थिक संघर्षों में बीता, लेकिन उन्होंने युवा आयु में ही धार्मिक और दार्शनिक मुद्दों में गहरी रुचि विकसित की।

शास्त्री जी के गुरु उनके दादा थे, जो खुद एक आध्यात्मिक नेता और बागेश्वर धाम मंदिर के प्रमुख पुजारी थे। धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) जी ने युवा आयु में अपने दादा के साथ दरबार में उपस्थित होना शुरू किया, और अंततः उन्होंने अपने दादा की जगह ली और मंदिर के प्रमुख पुजारी बने।

शास्त्री जी को राम कथा (Ram Katha) के कर्मठ व्याख्यानकार के रूप में जाना जाता है। राम कथा (Ram Katha) एक हिंदू धार्मिक पाठ है जो भगवान राम की कहानी कहता है। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर, जिसमें बागेश्वर धाम मंदिर भी शामिल है, राम कथा (Ram Katha) का प्रदर्शन किया है, और उनके व्याख्यान सुनने के लिए एक बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।

विवादों के बावजूद, धीरेंद्र शास्त्री जी भारत में एक लोकप्रिय और प्रभावशाली आध्यात्मिक नेता बने हुए हैं, जिनके पास एक बड़ी संख्या में समर्पित भक्त हैं। वे राम कथा (Ram Katha) और अन्य आध्यात्मिक व्याख्यान करना जारी रखते हैं, और उनकी शिक्षाएं और संदेश लोगों को प्रेरित करते हैं। आपको बता दें कि अपनी कथाओं के लिए दुनिया भर में मशहूर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) जहां भी कथा करने के लिए जाते हैं वहां लगातार 15 दिन तक कथाएं करते हैं। और इसके लिए शास्त्री जी एक से डेढ़ लाख रुपए तक चार्ज करते हैं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शास्त्री जी की सालाना आय 19 करोड़ रुपए के आसपास है। 

देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji)

Devkinandan Thakur ji

देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji), राम कथा (Ram Katha) के प्रसिद्ध वाचक, हिंदू धार्मिक नेता, और आध्यात्मिक शिक्षक हैं। उनका जन्म 12 सितंबर 1978 को मथुरा (Mathura), उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। वे संस्कृत, हिंदी, और अंग्रेजी भाषाओं में सुवाक्य हैं। छह साल की आयु में ही वे अपने घर से ब्रज क्षेत्र के रासलीला संस्थान में शामिल होने के लिए चले गए।

1997 से उन्होंने विभिन्न हिंदू शास्त्रों पर भाषण देना शुरू किया, जिनमें भागवत कथा, श्री राम कथा (Ram Katha), देवी भागवत, शिव पुराण कथा, और भगवद गीता शामिल हैं। उनकी कथा कहने की शैली को बहुत सराहा गया है और वे भागवत कथा वाचकों में सबसे लोकप्रिय और उच्चतम वेतन प्राप्त करने वाले माने जाते हैं।

देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji) की राम कथा (Ram Katha) एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव है, जो श्रोताओं को भगवान राम की दिव्य ऊर्जा से जोड़ती है। वे भगवान राम (Lord Ram) के उपदेशों की सुंदरता को स्पष्ट करते हैं, जिसमें धर्म (कर्तव्य), अर्थ (धन), काम (इच्छा), और मोक्ष (मुक्ति) का महत्व शामिल है। उनकी राम कथा (Ram Katha) विश्वभर के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का स्रोत है।

सारांश में, देवकीनंदन ठाकुर जी (Devkinandan Thakur ji) एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक नेता, आध्यात्मिक शिक्षक, और राम कथा वाचक (Kathavachak)  हैं जिन्होंने अपना जीवन हिंदू धर्म के उपदेशों को फैलाने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में समर्पित कर दिया है। उनकी राम कथा (Ram Katha) एक शक्तिशाली और प्रेरणादायक कहानी है जो लोगों को भगवान राम (Lord Ram) की दिव्य ऊर्जा से जोड़ती है और आध्यात्मिक मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करती है।

श्री रमेश भाई ओझा  (Ramesh bhai Ojha)

राम कथा (Ram Katha) के प्रसिद्ध वाचक श्री रमेशभाई ओझा  (Shree Rameshbhai Ojha) की कथा अपने आप में अद्वितीय है। उनका जन्म 31 अगस्त 1957 को गुजरात (Gujarat) के देवका गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत स्कूल, तत्त्वज्योति में प्राप्त की, जहां उनके चाचा जीवनराज ओझा, भागवत पुराण के प्रसिद्ध कथावाचक थे (Kathavachak)

13 वर्ष की आयु में ही उन्होंने गंगोत्री में भागवत पुराण पर अपना पहला कथा सत्र आयोजित किया था। आज तक वे विश्व भर में अनेकों कथा सत्रों का आयोजन कर चुके हैं। रमेशभाई ने 1980 में पोरबंदर, गुजरात (Gujarat) में ‘सादिपानी विद्यानिकेतन’ नामक विद्यालय की स्थापना की थी। यहां वेद, उपनिषद और शास्त्रों का ज्ञान छात्रों को दिया जाता है। उनके जीवन का केंद्रीय उद्देश्य रहा है राम कथा (Ram Katha) के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करना और उनके जीवन में शांति और समरसता लाना। रमेशभाई की राम कथा (Ram Katha) में एक विशेषता है, वे अपने श्रोताओं को केवल कथा सुनाने ही नहीं बल्कि उसे अपने जीवन में उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से लागू करने का मार्ग दर्शन करते हैं। उनकी राम कथा (Ram Katha) ने अनेकों लोगों के जीवन में बदलाव लाने में सहायता की है और उन्हें आध्यात्मिक शांति और समाधान प्रदान की है।

इस प्रकार, श्री रमेशभाई ओझा  (Shree Rameshbhai Ojha) ने अपना जीवन राम कथा के प्रचार और शिक्षा के प्रति समर्पित कर दिया है। उनकी यात्रा और उनकी राम कथा ने लोगों के जीवन में आध्यात्मिकता और शांति का संदेश पहुंचाया है।

विद्यानंद जी महाराज (Vidyanand Ji Maharaj)

Vidyanand Ji Maharaj

विद्यानंद जी महाराज (Vidyanand Ji Maharaj) एक प्रसिद्ध संत-महात्मा और राम कथा वाचक (Kathavachak)  हैं। उनका जन्म 24 दिसंबर 1935 को उत्तर प्रदेश के वृंदावन (vrindavan) में हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वम्भर दयाल और माता का नाम रामप्यारी देवी था। बाल्यकाल में ही उन्हें स्वामी नित्यानंद जी महाराज द्वारा यज्ञोपवीत संस्कार कराया गया और शिक्षा-दीक्षा दी गई।

विद्यानंद जी महाराज (Vidyanand Ji Maharaj) स्वभाव से अत्यंत सरल और कर्मशील माने जाते हैं। उन पर स्वामी श्री केशवानंद जी महाराज की विशेष कृपा थी। 1954 में अक्षय तृतीया के दिन उन्हें काशी के श्री श्री कात्यायनी पीठ का दायित्व सौंपा गया। तब से वे मां की पूजा-अर्चना में दत्तचित्त रहते हैं। विद्यानंद जी महाराज (Vidyanand Ji Maharaj) की राम कथा (Ram Katha) में रामायण और रामचरितमानस के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान मिलता है। वे अपनी मधुर वाणी से राम कथा का पाठ करते हैं जिसे सुनने के लिए लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। उनकी कथा से श्रोताओं को भक्ति और ज्ञान की प्रेरणा मिलती है। रामायण और रामचरितमानस हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जिनमें भगवान राम के जीवन और उपदेशों का वर्णन है। विद्यानंद जी महाराज (Vidyanand Ji Maharaj) इन ग्रंथों के माध्यम से राम भक्ति का प्रचार-प्रसार करते हैं। उनकी कथा वाचन शैली बेहद प्रभावशाली है जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

विद्यानंद जी महाराज (Vidyanand Ji Maharaj) की राम कथा (Ram Katha) से न सिर्फ आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है बल्कि उससे जीवन जीने की कला भी सीखने को मिलती है। उनकी कथा मानव मूल्यों और नैतिकता का पाठ पढ़ाती है। कथा श्रवण से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

प्रेम भूषण जी महाराज (Prem Bhushan Ji Maharaj)

Prem Bhushan Ji Maharaj

श्री प्रेम भूषण जी महाराज (Shri Prem Bhushan Ji Maharaj) एक प्रसिद्ध राम कथा वाचक (Kathavachak) , आध्यात्मिक वक्ता और भक्ति गायक हैं। उनका जन्म 21 जनवरी, 1969 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में हुआ था। उनका पालन-पोषण उनके मामा के घर पर हुआ और उन्होंने वहीं अपनी 12वीं कक्षा तक की शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने कानपुर से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।

1991 में कानपुर से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, श्री प्रेम भूषण जी महाराज (Shri Prem Bhushan Ji Maharaj) 1993 में अयोध्या आये। यहाँ उन्हें कई कथा वाचकों और भक्ति गायकों से मिलने का अवसर मिला और उनकी रुचि राम कथा में बढ़ी। इसी वर्ष उन्होंने राम कथा (Ram Katha) की कहानी का वर्णन करना शुरू किया। श्री प्रेम भूषण जी महाराज (Shri Prem Bhushan Ji Maharaj) की राम कथा (Ram Katha) उनकी मधुर वाणी, भक्ति भाव और विशेष शैली के लिए जानी जाती है। वे हिंदी और अवधी भाषाओं में राम कथा का वाचन करते हैं। उनकी आवाज़ के साथ हारमोनियम, करताल और तबला का संगीत एक मनमोहक अनुभव पैदा करता है। वे भगवान राम (Lord Ram) को समर्पित अपने भजनों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। श्री प्रेम भूषण जी महाराज (Shri Prem Bhushan Ji Maharaj) ने अयोध्या में राम कथा गायन के 12 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भगवान राम (Lord Ram) को समर्पित एक भव्य मंदिर “रामार्चा मंदिर” बनाने का निर्णय लिया है। यह परियोजना “हम राम जी के राम जी हमारे हैं” संगठन द्वारा चलाई जा रही है। मंदिर निर्माण कार्य प्रगति पर है और जल्द ही यह एक भव्य संरचना के रूप में खड़ा होगा।

श्री प्रेम भूषण जी महाराज (Shri Prem Bhushan Ji Maharaj) अपनी प्रेरणादायक राम कथा (Ram Katha) और भक्ति गायन के माध्यम से हजारों श्रद्धालुओं के दिलों में राम भक्ति का संचार करते हैं। उन्होंने अपना जीवन भगवान राम (Lord Ram) की सेवा और उनके संदेश को फैलाने में समर्पित कर दिया है। श्री प्रेमभूषण जी महाराज (Shri Prem Bhushan Ji Maharaj) भगवान श्री राम (Lord Ram) के सबसे बड़े भक्तों में से एक हैं और वे राम कथा की करने के लिए विश्व विख्यात हैं, प्रेमभूषण जी महाराज अपनी साप्ताहिक राम कथा करने के लिए 8 से 10 लाख रुपए तक चार्ज करते हैं। उनकी कथा फीस का अधिकतम हिस्सा गरीबों की सेवा और गौ सेवा इत्यादि में लगाया जाता है।

श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज (Shri Mridul Krishna Shastri Ji Maharaj)

श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज (Shri Mridul Krishna Shastri Ji Maharaj) भक्ति परंपरा में एक सम्मानित आध्यात्मिक गुरु हैं। उनका जन्म 15वीं शताब्दी में वृंदावन (vrindavan), भारत, में संत स्वामी हरिदास जी महाराज की वंशावली में हुआ था। उनके पिता श्री मूल बिहारी जी, और माता श्रीमती शांति गोस्वामी जी थीं, और उनके दो भाई अतुल कृष्ण और विपुल कृष्ण हैं। उनकी पत्नी का नाम श्रीमती वंदना गोस्वामी जी है और उनके एक पुत्र आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी हैं, जो भी भक्ति गुरु हैं और परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।

श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज (Shri Mridul Krishna Shastri Ji Maharaj) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत, वेदिक शास्त्रों, और व्याकरण में अपने पिता से प्राप्त की, जो एक प्रसिद्ध भक्ति गुरु और विद्वान थे। उन्होंने अपनी अध्ययन को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, में जारी रखा, जहां उन्होंने संस्कृत में मास्टर की डिग्री प्राप्त की। श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज (Shri Mridul Krishna Shastri Ji Maharaj) की आध्यात्मिक यात्रा ने छोटी उम्र में शुरुआत की, और उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में भगवान का संदेश भागवत कथा के माध्यम से साझा करना शुरू किया। तब से, उन्होंने 800 से अधिक कथाएं सुनाई हैं, जिसने अनगिनत लोगों को समर्पण और आध्यात्मिक वृद्धि की जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज (Shri Mridul Krishna Shastri Ji Maharaj) ने श्री भागवत मिशन ट्रस्ट की स्थापना की है, जो वृंदावन (vrindavan) में श्री राधा स्नेह बिहारी आश्रम चलाता है। ट्रस्ट विभिन्न सामाजिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल है, जिसमें अनाथ और जरूरतमंद बच्चों को खाना और आवास प्रदान करना, गरीब लड़कियों के लिए सामूहिक विवाह आयोजित करना, और राधा रानी गौशाला में गायों की देखभाल करना शामिल है।

श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महाराज (Shri Mridul Krishna Shastri Ji Maharaj) की शिक्षाएं केवल भारत तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि विभिन्न चैनलों और मंचों के माध्यम से वैश्विक रूप से साझा की जाती हैं। उन्होंने विभिन्न देशों में कथाएं और व्याख्यान दिए हैं, जिसने विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमियों के लोगों को भक्ति और आध्यात्मिकता की पथ को अंगीकार करने के लिए प्रेरित किया। देश के सबसे प्रसिद्ध कथा वाचक में से एक श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री जी अपनी सप्ताहिक कथा करने के लिए ₹1200000 की तगड़ी फीस चार्ज करते हैं, हालांकि उनकी फीस का कुछ हिस्सा उनकी टीम को मिलता है और बचे हुए कुछ पैसे शास्त्री जी गौ सेवा इत्यादि में लगा देते हैं। 

जया किशोरी (Jaya Kishori)

Jaya Kishori

जया किशोरी (Jaya Kishori) भारत की एक प्रसिद्ध कथावाचक (Kathavachak), भजन गायिका और मोटिवेशनल स्पीकर हैं। उनका जन्म 13 जुलाई 1995 को राजस्थान के सुजानगढ़ में एक पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के महादेवी बिरला वर्ल्ड एकेडमी से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।

जया किशोरी (Jaya Kishori) बचपन से ही भजन गाने की ओर झुकाव रखती थीं। उन्होंने बहुत कम उम्र में हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना सीख लिया था। 9 साल की उम्र में उन्होंने सुंदरकांड का पाठ किया और 10 साल की उम्र में रामायण के पाठ के लिए प्रसिद्ध हो गईं। लोग एक छोटी सी लड़की से इतनी मीठी आवाज सुनकर हैरान थे और उन्हें देवी, पूज्य जया और साध्वी कहने लगे। जया किशोरी (Jaya Kishori) की राम कथा (Ram Katha) प्राचीन हिंदू महाकाव्य रामायण की एक अनूठी व्याख्या है। वह कथा के नायक भगवान राम (Lord Ram) की शिक्षाओं और उनके आधुनिक जीवन में अनुप्रयोग पर ध्यान केंद्रित करती हैं। उनकी कथा सरल, आकर्षक और संबंधित होती है, जिससे यह सभी उम्र के लोगों के बीच लोकप्रिय हो जाती है। उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में राम कथा (Ram Katha) का वर्णन किया है और उनके पास भक्तों का एक बड़ा अनुयायी वर्ग है जो उन्हें सुनने के लिए आता है। राम कथा (Ram Katha) के अलावा, जया किशोरी (Jaya Kishori) अन्य धार्मिक कथाएं जैसे नरसिंह कथा, शिव तांडव स्तोत्रम और लिंगाष्टकम भी सुनाती हैं। उनकी मधुर आवाज और कहानी कहने का अंदाज उन्हें धार्मिक आयोजनों और सभाओं के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है। जया किशोरी (Jaya Kishori) एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं और उन्होंने विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में भाषण दिए हैं। वह समय प्रबंधन, लक्ष्य निर्धारण और आत्म-विश्वास जैसे विषयों पर बात करती हैं। उनके भाषण प्रेरक और सशक्त होते हैं, और उन्होंने कई युवाओं को अपने डर को दूर करने और अपने सपनों का पीछा करने में मदद की है।

जया किशोरी (Jaya Kishori) अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी जानी जाती हैं। वह नारायण सेवा ट्रस्ट चलाती हैं, जो वंचित बच्चों और महिलाओं को भोजन, शिक्षा और चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है। वह महिला अधिकारों की एक मजबूत वकील हैं और लैंगिक भेदभाव और हिंसा के खिलाफ बोली हैं। यूट्यूब पर एक चैनल के मुताबिक, जया किशोरी (Jaya Kishori) जी अपने स्पेशल अध्यात्मिक सत्रों के लिए फीस के रूप में 9 लाख 50 हजार रूपये लेती हैं। उनका योगदान और साधना ने उन्हें भक्ति क्षेत्र में एक प्रमुख आध्यात्मिक गायिका बना दिया है।

Conclusion:

रामकथा (Ram Katha) का प्रभाव केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। यह दुनिया भर में प्रवासियों और हिंदू समुदायों द्वारा अपनाई गई है, भारत के प्रसिद्ध श्री राम कथा वाचकों की सूची से संबंधित यह विशेष लेखक अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया हमारे अन्य सभी लेख को भी एक बार जरूर पढ़िए और इस लेख से उत्तर पर अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो तो उन प्रश्नों को कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए, हम आपके सभी प्रश्नों का हर संभव जवाब देने का प्रयास भी करेंगे। और भी रोचक जानकरी वाले लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोज विजिट करें।

FAQ’s:

Q. राम कथा क्या है? 

Ans. राम कथा भगवान राम के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित एक प्राचीन भारतीय महाकाव्य है। यह कथा मुख्य रूप से वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस में वर्णित है। राम कथा में राम के जन्म से लेकर उनके वनवास, सीता के अपहरण, रावण पर विजय और अयोध्या वापसी तक की घटनाओं का वर्णन है। 

Q. राम कथा का महत्व क्या है? 

Ans. राम कथा का भारतीय समाज और संस्कृति में विशेष महत्व है। यह न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन मूल्यों, आदर्शों और नैतिकता का भी प्रतीक है। राम को मर्यादा पुरुषोत्तम माना जाता है और उनके जीवन से जुड़ी कथाएं लोगों को सत्य, धर्म और कर्तव्य का पाठ पढ़ाती हैं।

Q. एकश्लोकी रामायण क्या है? 

Ans. एकश्लोकी रामायण संस्कृत में लिखी गई रामायण का एक संक्षिप्त रूप है जो केवल एक श्लोक में पूरी राम कथा को समेटती है। इस श्लोक में राम के जीवन की प्रमुख घटनाओं जैसे वनवास, सीता हरण, जटायु की मृत्यु, सुग्रीव से मित्रता, बाली वध, समुद्र पार करना, लंका दहन और रावण-कुंभकर्ण वध का संक्षेप में वर्णन किया गया है।

Q. राम कथा को किन-किन भाषाओं में लिखा गया है? 

Ans. राम कथा को विभिन्न भारतीय भाषाओं जैसे संस्कृत, अवधी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ आदि में लिखा गया है। इसके अलावा दुनिया की कई अन्य भाषाओं जैसे थाई, लाओ, कंबोडियन, मलय, जावानीज, फिलिपिनो और चीनी में भी रामायण के अनुवाद या रूपांतरण मौजूद हैं।

Q. राम कथा वाचक किसे कहते हैं? 

Ans. राम कथा वाचक वे व्यक्ति होते हैं जो राम कथा का पाठ या वाचन करते हैं। वे रामायण या रामचरितमानस जैसे ग्रंथों से राम के जीवन से जुड़ी कथाओं को सुनाते हैं। राम कथा वाचक अपनी मधुर वाणी और भाव-भंगिमाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वे राम कथा के माध्यम से धार्मिक शिक्षा और जीवन मूल्यों का संदेश देते हैं। 

Q. भारत के प्रसिद्ध राम कथा वाचक कौन हैं? 

Ans. भारत में कई प्रसिद्ध राम कथा वाचक हैं जिन्होंने अपनी कथा वाचन शैली से लोगों का दिल जीता है। इनमें मोरारी बापू, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, देवकीनंदन ठाकुर, कृष्ण चंद्र शास्त्री, रामभद्राचार्य और कुमार विश्वास जैसे नाम शामिल हैं। इन कथा वाचकों की कथाएं सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।