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Sankashti Chaturthi 2024: क्या होती विकट संकष्टी चतुर्थी, जिसका व्रत करने से मिलता है भगवान गणेश का आशीर्वाद, जाने महत्व, फायदे

Sankashti Chaturthi 2024
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Sankashti Chaturthi: क्या आप जानते हैं कि एकदंत विकट संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है? यह व्रत न केवल भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक अवसर है, बल्कि हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का भी एक शक्तिशाली माध्यम है। 

प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने इस व्रत के महत्व को समझा और इसे हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग बनाया। आइए, इस लेख के माध्यम से हम एकदंत संकष्टी चतुर्थी के व्रत के बारे में विस्तार से जानें। हम इस व्रत की तिथि, पूजा विधि, कथा और महत्व के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि इस व्रत को करने से हमें क्या लाभ मिलते हैं और हम अपने जीवन में कैसे इसका उपयोग कर सकते हैं।

तो चलिए, इस रोचक यात्रा पर निकलते हैं और एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti chaturthi) के व्रत के रहस्यों को उजागर करते हैं। यह लेख आपके लिए ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक साबित होगा…!!

संकष्टी चतुर्थी – Table Of Content 

S.NOप्रश्न
1संकष्टी चतुर्थी कब है?
2संकष्टी चतुर्थी क्या है?
3संकष्टी चतुर्थी का महत्व
4संकष्टी चतुर्थी के फायदे
5संकष्टी चतुर्थी व्रत नियम
6संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
7संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पीडीएफ
8संकष्टी चतुर्थी पारण समय

संकष्टी चतुर्थी कब है? (Sankashti Chaturthi Kab Hai)

एकदंत संकष्टी चतुर्थी, जिसे भगवान गणेश (Lord Ganesh) के समर्पित किया जाता है, 2024 के ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाई जाती है। विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार, यह तिथि 26 मई को पड़ रही है, इस दिन, व्रत का पालन करने और भगवान गणेश की पूजा करने से मान्यता है कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और राहु के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।

विकट संकष्टी चतुर्थी क्या है? (What is Sankashti Chaturthi)

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि बुरे समय और जीवन की कठिनाइयों को दूर किया जा सके। संकष्टी शब्द का अर्थ है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’। श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर गणेश (Lord Ganesh) पूजा करते हैं और दिनभर व्रत रखते हैं, केवल कच्ची सब्ज़ियां, फल आदि खाते हैं। शाम को चन्द्र दर्शन के बाद व्रत पूरा होता है। मान्यता है कि इस व्रत से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर की विपदाएं दूर होती हैं।

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संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Sankashti Chaturthi Significance)

चतुर्थी (Sankashti chaturthi) का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • संकटों से मुक्ति: संस्कृत में ‘संकष्टी’ शब्द का अर्थ है कठिन समय या संकट से मुक्ति पाना। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। “यदि किसी भी प्रकार का दु:ख है तो उससे छुटकारा पाने के लिए विधिवत रूप से इस संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखकर भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा करना चाहिए।”
  • गणेश जी का विशेष दिन: संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश (Lord Ganesh) को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। “गणेश जी को खुश करने के लिए संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का दिन सबसे शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यदि आप किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं तो संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी का पूजन करने से सभी परेशानियां और बाधाएं दूर होती हैं।”
  • व्रत और पूजा विधि: संकष्टी चतुर्थी (Sankashti chaturthi) के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखने और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। इस दिन दूर्वा, फूल, अगरबत्ती और दीपक से गणेश जी की पूजा की जाती है। भक्त उन्हें लड्डू का भोग लगाते हैं जो गणेश जी को अतिप्रिय माना जाता है। चंद्रोदय के समय चंद्र देव को जल का अर्घ्य देकर व्रत का पारण सफलतापूर्वक किया जाता है।

संकष्टी चतुर्थी के फायदे (Sankashti Chaturthi Benefits)

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है और भक्तों को आध्यात्मिक एवं भौतिक लाभ मिलते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति और उसके परिवार को हर प्रकार की मुसीबतों से सुरक्षा मिलती है, दाम्पत्य जीवन में तनाव दूर होता है, कमज़ोर बुद्धि वालों का आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यापार संबंधी समस्याएं हल होती हैं। विघ्नहर्ता गणेश की कृपा से नकारात्मकता दूर होकर शांति और सुख आता है। श्रद्धा और निष्ठा से इस व्रत को करने से भगवान गणेश स्वयं भक्तों के कष्ट हरते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत नियम (Sankashti Chaturthi Fasting Rules)

  • सुबह जल्दी उठें और स्नान करें: व्रत का दिन शुरू होने से पहले यह आवश्यक है कि आप स्वच्छता का पालन करें। इसके लिए, सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • भगवान गणेश की पूजा करें: गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें और फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप आदि से उनका पूजन करें, दूर्वा घास और मोदक भी उनके प्रिय भोग हैं।
  • व्रत का संकल्प लें और उपवास रखें: पूजा के बाद व्रत का संकल्प लें और दिन भर उपवास रखें।
  • संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनें: शाम को संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनना आवश्यक है।
  • चंद्र दर्शन और अर्घ्य देना: चंद्रमा को अर्घ्य दें और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलें।
  • दान-पुण्य करें: व्रत के दिन दान-पुण्य करना चाहिए।

इन नियमों का पालन करके और संकष्टी चतुर्थी व्रत का अनुसरण करके, भक्त भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Vrat Katha PDF Download)

संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat), चांद के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी दिन का हिन्दू धार्मिक अनुष्ठान है, जिसका हिन्दू धर्मग्रंथों में विशेष महत्व है। इस व्रत का पालन करने से कहा जाता है कि परिवार पर आने वाली विपत्तियों से बचाव होता है और समृद्धि आती है। 

यह व्रत हर महीने मनाया जाता है, और तिथियाँ चांद्र मासिक पंचांग पर निर्भर करती हैं। पौराणिक  गणेश कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब कई देवताओं को विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने भगवान शिव से मदद मांगी। भगवान शिव ने कार्तिकेय और गणेश से पूछा कि कौन देवताओं की कठिनाइयों को दूर कर सकता है। दोनों ने दावा किया कि वे इसे कर सकते हैं।

गणेश ने अपने माता-पिता, भगवान शिव और पार्वती, के चारों ओर सात बार घूमकर पृथ्वी का परिक्रमा करने का काम समाप्त कर दिया। गणेश ने कहा कि उनके माता-पिता सभी लोकों का प्रतीक हैं, और उनके चारों ओर घूमना पृथ्वी के परिक्रमा के समान है। गणेश की बुद्धि से प्रभावित होकर, भगवान शिव ने उन्हें देवताओं की कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति प्रदान की। तब से माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने और उन्हें रात में चांद्र देव का दर्शन करने के बाद अर्घ्य देने से व्यक्ति की भौतिक, दैविक और भौतिक पीड़ायें दूर हो जाती हैं।

इस प्रकार, संकष्टी चतुर्थी (Sankashti chaturthi) व्रत हिन्दू अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे विपत्तियों को दूर करने और समृद्धि लाने के लिए मनाया जाता है। व्रत की उत्पत्ति पुरानिक गणेश कथा में है, जहां भगवान गणेश Lord Ganesh) की बुद्धि और उनके माता-पिता के प्रति भक्ति ने उन्हें कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति दिलाई। व्रत का पालन करके, भक्त मानते हैं कि वे अपनी पीड़ायों को दूर कर सकते हैं और खुशी, यश और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पीडीएफ (Sankashti Chaturthi Vrat Katha PDF)

संकष्टी चतुर्थी के पावन व्रत से संबंधित यह विशेष पीडीएफ (PDF) हम आपसे साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो इस पीडीएफ (PDF) को डाउनलोड ( Download) करके संतुष्ट चतुर्थी की व्रत कथा कभी भी पढ़ सकते हैं।

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संकष्टी चतुर्थी पारण समय (Sankashti Chaturthi Parana Time)

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 मई को सुबह 06:06 बजे होगा, और इसका समापन 27 मई की सुबह 04:53 बजे होगा। एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 26 मई को ही मनाया जाएगा। इस दिन संकष्टी का चंद्रोदय रात 09:39 बजे होगा। भक्त इस दिन भगवान गणेश के लिए व्रत रखेंगे और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान श्री गणेश की कृपा से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। 

Conclusion:

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti chaturthi) भगवान गणेश (Lord Ganesh) की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का पावन अवसर है। इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से, भक्तों को सुख-समृद्धि, विघ्नों से मुक्ति, और बुद्धि प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी के पावन त्योहार से संबंधित यह विशेष लेखक अगर आपको पसंद आया हो तो कृपया इस लेख को अपने सभी प्रिय जनों के साथ साझा करें, ऐसे ही और भी पावन त्योहार और व्रत से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट https://janbhakti.in पर रोजाना विजिट करें।

FAQ’s:

Q. संकष्टी चतुर्थी क्या है?

Ans. संकष्टी चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो विघ्नहर्ता भगवान गणेश के समर्पित होता है। इस दिन विशेष प्रार्थनाएं और अनुष्ठान भगवान गणेश को समर्पित की जाती हैं, जिससे कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

Q. संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाती है?

Ans. संकष्टी चतुर्थी हर हिन्दू कैलेंडर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है। यह त्योहार पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी के रूप में जाना जाता है।

Q. भगवान गणेश कौन हैं?

Ans. भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के देवता हैं। उनका हाथी का सिर बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है, जबकि उनके बड़े कान सुनने की क्षमता को दर्शाते हैं।

Q. भगवान गणेश क्यों पूजा के अग्रणी देवता माने जाते हैं?

Ans. भगवान गणेश को शुभारंभ के देवता के रूप में माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि उनकी पूजा से हर बाधा दूर होती है और सफलता मिलती है।

Q. संकष्टी चतुर्थी का महत्व क्या है?

Ans. संकष्टी चतुर्थी का महत्व भगवान गणेश की आराधना में है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि और ज्ञान के देवता माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा द्वारा भगवान गणेश से बाधाओं के निवारण और सफलता की प्रार्थना की जाती है।

Q. संकष्टी चतुर्थी का आचरण कैसे किया जाता है?

Ans. संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तगण एक कठोर व्रत रखते हैं, जो केवल चंद्रमा के दर्शन और गणेश पूजा करने के बाद ही तोड़ा जाता है। पूजा में आरती, दीप जलाने और मिठाई, मोदक समेत अन्य प्रसाद भगवान गणेश को चढ़ाए जाते हैं।